Thursday 8 March 2012

बुरा मान गए

वो  सोते रहे उम्र भर फूलों की सेज पर,
हमने बस फूलों की बात की तो बुरा मान गए .
उन्हें तरस नहीं आता मेरे हालात पर ,
लेकिन हम उनकी खुशी में ना हँसे, तो बुरा मान गए .
हम रोते रहे उनकी छोटी सी चोट पर,
पर जो अपने घाव दिखाए तो बुरा मान गए.
चाँद , सितारे, कलियाँ , फूल सब तुम्हारे लिए,
हमने काँटों से दिल लगाया तो बुरा मान गए
फूलों की खुशबू पर सभी का हक है ,
हमने बस फूलों को निहारा तो बुरा मान गए .
चाँद तारों  की कहाँ थी ख्वाहिश हमे,
एक टुटा सा तारा चाहा, तो बुरा मान गए .
ज़माने की सारी खुशियाँ थी उनके वास्ते
हमने अपने जीने की वजह मांगी तो बुरा मान गए.
............ नीरज कुमार नीर 

4 comments:

  1. kya khoobsurati se aapne in shabdon ko piroya hai... maja aa gaya...

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  2. मेरी एक सलाह है ... ऐसे लोगों से दूर ही रहिये...जो छोटी छोटी बातों पे बुरा मान जाते है....वैसे क्या लिखा है आपने जितनी भी तारिफ करुं कम लगता है...

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  3. हमने काँटों से दिल लगाया तो बुरा मान गए
    फूलों की खुशबू पर सभी का हक है ,
    हमने बस फूलों को निहारा तो बुरा मान गए
    बहुत बढ़िया

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