Sunday 29 July 2012

उनवान


तुम मेरी कहानी का उनवान बन जाओ.
मेरे दिल में बस जाओ , मेरी जान बन जाओ..

जो भी तुम्हे देखे मुझको याद करे.
तुम मेरी हस्ती की पहचान बन जाओ..

तेरी मीठी बातों को गीतों में ढालूं.
तुम मेरी गीतों की इल्हान बन जाओ..

तुम अपनी आँखों में मुझको बसा लेना.
तुम मेरी मुहब्बत की निगेहबान बन जाओ..

मेरी  जुबां पे हरदम, तेरा नाम रहे.
तुम मेरे होठों की मुस्कान बन जाओ..

तुम मेरी कहानी का उनवान बन जाओ.
मेरे दिल में बस जाओ , मेरी जान बन जाओ..
               “  नीरज कुमार ‘नीर’ ”

Saturday 28 July 2012

सोहर


   
नन्द नगर में ढोलक बाजे
आयो नन्द गोपाल
संखियाँ मिलजुल सोहर गाये
नाचे वृन्द ग्वाल
.
नन्हे नन्हे पांव सखी रे
सोहे सुन्दर पालना
नन्द के घर आयो हैं
प्रभु रूप धर लालना.
..
श्याम वरण और कारी अँखियाँ
सोहे छवि अति प्यारी
हर्षित माता उर लगायो
सुन्दर श्याम मनोहारी.
...
नन्द नगर में ढोलक बाजे
आयो नन्द गोपाल
संखियाँ मिलजुल सोहर गाये
नाचे वृन्द ग्वाल

       ..............   “ नीरज कुमार ‘नीर’'


चित्र गूगल से साभार ...



Friday 20 July 2012

झूला झूले नंदलाल


झूला झूले नंदलाल
बृज की गलियों में.
एक पेंघ राधा ने दीन्हा
दूजा देवे है ग्वाल
बृज  की गलियों में .

झूला झूले नंदलाल
बृज की गलियों में .
बृंदावन में यमुना बहती हैं
तीरे खेले नंदलाल
बृज की गलियों में

झूला झूले नंदलाल
बृज की गलियों में

ग्वाल बाल संग गोपियाँ नाचे
राधा संग गोपाल
बृज की गलियों में.

झूला झूले नंदलाल
बृज की गलियों में
            नीरज कुमार "नीर"

Thursday 19 July 2012

हे शिव! फिर नर्त्तन करो

शिव तुम्हारे नर्त्तन से
कांपा  था संसार.
हे शिव! फिर नर्त्तन करो,
बहुत बढ़ा अत्याचार.
अगर तुम आ नहीं सकते,
मुझमे वो शक्ति भरो.
हे शिव! फिर नर्त्तन करो.
एक सती की मृत्यु ने
तुम्हे विचलित किया था.
कितनी सती जलाई गयी,
कितनी खाक में मिलाई गयी.
आंखे खोलो! ध्यान इस ओर करो.
हे शिव! फिर नर्त्तन करो
हे शिव! फिर नर्त्तन करो
हे शक्ति वल्लभ! तुम्हे जागना होगा,
वसुधा पाप से दबी जाती,
शिवालय लुटे जाते हैं,
आतंक फैलाने वाले,
बा-इज्जत छूटे जाते हैं.
भक्त तुम्हारे मंदिर में
जाने से भी डरता है
तुमको भी संगीनों के
साये में रहना पड़ता है.
जो  दुष्ट है उनके
ह्रदय में भय भरो.
जो साधू हैं उनके
सारे कष्ट हरो.
हे शिव! फिर नर्त्तन करो
हे शिव! फिर नर्त्तन करो
अगर तुम आ नहीं सकते,
मुझमे वो शक्ति भरो.
...........      “ नीरज कुमार ‘नीर’ ”

Tuesday 17 July 2012

कहाँ गए श्याम


कहाँ गए श्याम मोसे नैना मिलाय के 
तेरे दरश को नैना तरसे
कहाँ गए श्याम मोसे नैना मिलाय के
मोर मुकुट छवि अति सुन्दर,
संवारी सूरत निकले ना उर  से.       
कहाँ गए श्याम मोसे नैना मिलाय के 
वंशी कि धुन मन मेरो मोहे,
तू ही दिखे है जाऊँ जिधर से.
कहाँ गए श्याम मोसे नैना मिलाय के 

(उर – ह्रदय) 

"कर्म पथ"


प्राची के प्रांगण में,
शुभ्र उषा अरुणाई है.
सुन्दर, सुभग, मनोरम, मन्जुल
जैसे स्रष्टा की परछाई है.
-
पद्म ने पट खोले,
भ्रमर ने गुंजन किया,
उषा ने बांहे खोलकर,
रवि का आलिंगन किया.
-
चल उठ उड़ चल मन
कर्म पथ पर
उत्साह से भर कर
जीवन रथ पर.
-
तू कर्मवीर है
परिव्राजन तेरा धर्म नहीं,
बढते जाना जीवन पथ पर
रुक जाना जीवन मर्म नहीं.
-
पर्वत, सरिता, पथ कंटीले
आंधियों से ना डर,
कर्म है कर्तव्य तुम्हारा
शेष का चिंतन ना कर.
-
जो अपकृष्ट हैं, यद्यपि
वे तो उपहास करेंगे
ना देख उनकी ओर
तू परिमल सा बहता चल.
-
चल उठ उड़ चल मन
कर्म पथ पर
उत्साह से भर कर
जीवन रथ पर.
...................... नीरज कुमार नीर”............

Wednesday 4 July 2012

आओ प्यारे बदरा


वर्षा ऐसो बरसो
जल आप्लावित हो जाये
पी के मिलन से ज्यूँ
मन आह्लादित हो जाये.

तरुवर प्यासे  सुख रहे
प्यासी भयी वसुंधरा,
तन मन कि प्यास बुझाओ
आओ प्यारे बदरा.

पनघट सूना गलियां सूनी 
जीवन लगता सूना सूना,
अब तो आओ प्रियतम
प्रमुदित हो जीवन का हर कोना .

धरा वैधव्य ओढ़ चुकी
नैन थके पन्थ निहार,
मेरी तुमसे है वंदना
बरसाओ प्रेम आभार .

व्योम के विस्तार में
छाओ श्याम सारंग,
नयनन को अभिराम लगे
ह्रदय भरे नवरंग 
..........
नीरज कुमार नीर 
चित्र गूगल से साभार


कवि की कल्पना




तू कवि की  कल्पना,

तू गीतों  की  रागिनी, 
मेरी कविता  की  भाव तुम्ही हो ,
तू मधुर रस भासिनी. 

मैं ठहरा जल हूँ,
तू कल – कल करती तरंगिणी.
मैं कर्कश गर्जन प्रिय ,
तू माधुर्य वादिनी .

मैं जो गाऊं गीत तुम्ही हो,
मेरे काव्य की रीति तुम्ही हो ,
मेरे कविता का ध्येय तुम्ही,
तू  प्रिय मन भावनी.

मैं पत्थर बेकार,
तू  अमूल्य पारस मणि,
मैं दुपहरी जेठ की,

तू शीतल यामिनी .
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