Sunday 9 September 2012

नया विहान



विहग निलय से  निकल चुके,
नया विहान आया है,
उषा ने छेड़ी तान नयी,
पिक ने राग सुनाया है.
.
रश्मि रथ पर बैठ रवि,
नया सवेरा लाया है.
पौधों पर नव कुसुम खिले,
पात पात  मुस्काया है.
.
देवालय का शीर्ष कलश
आभामय ज्यूँ कंचन
हरित तृण पर ओस कण
जगमग दीप्ति उपवन .
.
सर के जल में रवि,
छवि निहारे,
मुकुलित हुआ शतदल नवल.
पुलकित धरा, धवल वसन.
शोभित अवनि के कुंतल,
द्रुमदल.

अब तिमिर लेश नहीं
रजनी अब शेष नहीं
चतुर्दिक छाया नव स्पंदन,
तन्द्रालस मिटा, निस्तन्द्र हुआ चितवन.
............................   “नीरज कुमार 'नीर'
             
कुछ शब्दार्थ :
विहग : पक्षी 
निलय : घोंसला 
पिक : कोयल 
तृण : घास 
सर के जल : सरोवर का जल 
मुकुलित : फूल का खिलना 
शतदल : कमल
नवल : नया 
धवल : सफ़ेद 
वसन : वस्त्र 
अवनि : पृथ्वी
कुंतल : केश 
द्रुम : वृक्ष 
चित्र गूगल से साभार 


14 comments:

  1. prakriti ke bihamgamta ka sundar chiran Niraj hee sundar Rachna ke liye badhai

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद बलबीर जी, उत्साह बढ़ाते रहिएगा.

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. बहुत आभार सुमन जी

      Delete
  4. सुबह सुबह आनद आ गया .. प्राकृति की प्रार्थना से कम नहीं ये रचना ...
    नव वर्ष का आगमन भी ऐसा ही हो ... मंगल कामनाएं ...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर और मनभावन चित्रण शब्दों के माध्यम से। बहुत ही अच्छी रचना।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही मनोहारी शब्द चित्र खींचा है प्रात: काल का ! स्फूर्तिदायक अति सुंदर रचना !

    ReplyDelete
  7. सुंदर रचना !! मंगलकामनाएं !!

    ReplyDelete

  8. अति सुन्दर रागात्मक रचना शब्दार्थ देकर इसे अर्थ पूर्ण बना दिया है आपने सबके लिए।

    ReplyDelete
  9. मनमोहक ... अर्थपूर्ण शब्दों के चयन से इस रचना का विस्तृत स्वरुप निखर रहा है ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (10-03-2014) को आज की अभिव्यक्ति; चर्चा मंच 1547 पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आभार आदरणीय

      Delete
  11. भोर जैसी सुंदर .......... रचना :)

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...