Thursday 31 January 2013

दीया दिन का


बड़ी अजीब मेरी जिन्दगी की बात है,
मैं हूँ चाँद,  फिर भी अँधेरी रात है.

हर ख्वाहिश पूरी हो जरूरी तो नहीं,
वो मिले किसी को मुकद्दर की बात है.

मैं दीया हूँ दिन का, किसी के काम का नहीं,
मेरा जलना, बुझना, बेमतलब की बात है.

हरदम ही हारा जिन्दगी की के खेल में
कैसी बाजी है, मेरी ही शह, मेरी ही मात है .

परिंदा बैठा, शजर की सबसे ऊँची शाख पर , 
पत्थर उसी को लगा किस्मत की बात है.

....................नीरज कुमार ‘नीर’


(शजर:पेड़)

Thursday 24 January 2013

सपनो का मर जाना


मंजिल मिलती है, लेकिन उससे पहले
हैं मिलते पथ पथरीले, शूल  नुकीले
पतझड़, सावन और फिर बसंत सुहाना
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

जीवन में कभी तो कुछ हासिल होता है,
हासिल होना पर कुछ बाकी होता है.
जरूरी है गिरते ऊठते मंजिल पाना
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

उल्लास, उमंग, हर्ष, खुशी, आनंद, प्रेम 
शोक, संताप, दुःख, आपदा, व्यथा, वेदना .
जीवन चित्र भिन्न रंगों से रंग जाना,
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

हार है और जीत है, इर्ष्या, प्रीत है,
युद्ध यह बड़ा है, वीरता है, भीत है       
तूफानों का पर्वत शैल  से टकराना,
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

स्वप्न दिखाते  हैं मानव को जीवन ध्येय,
लक्ष्य हो चाहे कितना विशाल  दुर्जेय .
एक जीवन में कई जीवन जी जाना
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

जिनके सपने किसी मोड़ पर मर जाते हैं,
जीवन में वे आखिर कहाँ किधर जाते हैं.
उमंगो का खंडित हो अक्सर बिखर जाना
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

जिंदगी नाम है, गिरना फिर फिर उठना,
चलना बढ़ना और आगे  बढते  जाना .
जब तक स्वप्न चले आगे चलते जाना.
पर सबसे बुरा है सपनो का मर जाना। 

............नीरज कुमार नीर
(c) #neeraj kumar neer

Friday 11 January 2013

वतन बेच देंगें



अभी जिस तरह से सीमा पर हमारे सैनिकों की हत्या करके उनकी गर्दन दुश्मनों के द्वारा काट ली गयी और हम बेगैरतों की तरह कभी उनके साथ क्रिकेट खेल रहे है, कभी  ‘सुर क्षेत्र’ में तो कभी  ‘नच  बलिए’ में उनके गाने और नाच का आनंद ले रहे है, ऐसे में तो लगता है की देश के लिए सीमा पर लड़ने की कोई प्रेरणा किसी में बची नहीं रह जायेगी और सिर्फ बेवक़ूफ़ लोग अपनी जान गँवा रहे हैं और होशियार लोग ‘अमन की आशा’ लेकर शत्रु से दोस्ती गाठ रहे है और राष्ट्रीय स्तर के चैनल पर जब पाकिस्तान का प्रतिभागी ‘सुर क्षेत्र’ नामक कार्यक्रम में जीत हासिल करता है तो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगवा रहे है.  ऐसे ही  हालात में अपने शहीद सैनिको को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मैंने चंद पंक्तियां लिखी है, अगर मेरे भाव आपके दिल तक पहुचे तो इजहार जरूर कीजियेगा. याद रखिये चुप्पी आपका सबसे बड़ा शत्रु है.
<….वतन बेच देंगें….>
फूल बेच देंगे चमन बेच देंगे,
मुर्दों पे लिपटा कफ़न बेच देंगे.
माँ बेच देंगे, बहन बेच देंगे,
मुनाफाखोरों का देश है ये,
मुनाफा अगर मिले तो वतन बेच देंगें.
जब सीमा की रक्षा करता
सैनिक मारा जाता है,
दिल्ली के मुँह पर मार तमाचा 
दुश्मन, गर्दन काट ले जाता है.
तब, खूब तन्मय हो लगे रहे
मेहमानों के सम्मान में
क्योंकि खूब बरसता है,
धन, क्रिकेट के मैदान में.
जहाँ देश की भूमि बचाने
वीर, सीने पे गोली खाते हैं,
वहीँ, टी वी पर देखो
मोटा माल बनाने वाले
शत्रु को नचाते और गवाते है.
शहीदों के लाशों पर
अमन की आस करते है.
ये जयचंद की औलाद हैं,
लाशों पर व्यापार करते है.
अमन की आशा के पीछे
स्वार्थ बहुत बड़ा है .
लाभ कमाने का लोभ
वाकई बहुत बढ़ा है.
धन गंवाया , धर्म गंवाया
तुने भारत देश गंवाया
इतना कुछ खोकर भी लेकिन
प्यारे, तुमको होश ना आया.
धन की खातिर धर्म बेकार,
माल मिले तो वतन बेकार.
देश से इनका नहीं सरोकार,
सत्ता सुख में बेसुध सरकार.
जिनको स्वाभिमान बेचकर,
तुम मोटा माल कमाते हो ,
उन्ही के हाथों देखोगे एक दिन ,
माल और इज्जत दोनो कैसे गंवाते हो.
कहते हैं इतिहास स्वयं को
बार बार दोहराता है.
इतिहास से हमे सीख मिले,
इसलिये इतिहास पढाया जाता है.
लेकिन नहीं हैं ये इतिहास से
कुछ भी सीखने को तैयार.
देश के ऊपर आ जाता इनका
निज स्वार्थ और व्यापार.
कोई सत्ता के फेर में,
कोई दौलत के फेर में
अपनी जेबें भरी रहे,
चाहे देश जाये, कूड़े के ढेर में..
गर्दन काटने वालों की
गर्दन काट कर लाओ.
दिल्ली के राजपथ पर
खंभे पर इन्हें सजाओ.
यही हमारे वीर शहीदों का
असली सम्मान होगा
माँ भारती के चरणों में
साहसी प्रणाम होगा.
..जय हिंद ..
............नीरज कुमार ’नीर’


Saturday 5 January 2013

नया साल

नए साल में नया क्या है,
नई प्रतिज्ञा जो ली नही,
नया रंग जो जीवन में भरा नहीं.
सुरसा के मुँह सी बढती मंहगाई , जो कमी नही.
नए साल में नया क्या है?

शहर की मलिन बस्ती सा मलिन सूरज?
अपने बच्चों की रोटी के लिए
सहवास करती स्त्री के शरीर सी उदास  शाम.
कंक्रीट के जंगल में छत पर टंगा चाँद.
नए साल में नया क्या है?

अख़बारों में छपती ब्लू फिल्मो की हीरोइन की तस्वीर,
छपने के लिए तरसती कविताएँ,
पुनः पुनः होती बलात्कार की घटनायें,
नए साल में नया क्या है?

क्रिकेट खेलकर पडोसी से सम्बन्ध सुधारने की कोशिश,
सौ बार आजमाए उपाय को फिर से आजमाना, फिर मुँह की खाना,
देश के स्वाभिमान को गिरवीं रख कर की गयी “अमन की आशा’
नए साल में नया क्या है?
.. नीरज कुमार नीर


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