Sunday 30 June 2013

अदा तुम्हारी अच्छी है

   
वस्ल हो कि जुदाई , हर अदा तुम्हारी अच्छी है.
मुहब्बत में जान लेने की अदा तुम्हारी अच्छी है.


औरों से खुलकर मिलना, मुझसे हिजाब में,
आशिक को तड़पाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.


टपके रुखसार पे जो मोती पत्थर मोम हो जाए,
शेर को शायर बनाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.


तुम आये चमन में बेरंग फूल सारे हो गए
फूलों से रंग चुराने की अदा तुम्हारी अच्छी है.


बैठे रहे राह में नजरे बिछाए रात भर
नजरें चुराकर जाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.

................. नीरज कुमार ‘नीर’      

15 comments:

  1. आपको हार्दिक बधाई !

    ReplyDelete
  2. शायद तड़पाने में भी उनको उनको कुछ मीठा लगता हो. बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  3. बहोत सुन्दर गजल है.......खास तो दुसरा शे'र लाजवाब

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर
    साझा करने के लिए आभार...!

    ReplyDelete
  5. kya baat hai bahut khoob :-)

    ReplyDelete
  6. बहुत कमाल के शेर हैं ... नतले से ही अंदाज़ का पता चल जाता है ...
    दूसरा शेर भी बहुत लमाल का है ...

    ReplyDelete
  7. tumari har uda hi bemishal hain.....khubsurat gazal....

    ReplyDelete
  8. बहुत कमाल की गजले... बधाई..

    ReplyDelete
  9. आज ही आपका ब्लॉग देखा ,बहुत सुंदर रचनाएँ ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...