Saturday 10 May 2014

मेरी अगर माँ ना होती


मातृ दिवस के अवसर पर विश्व की समस्त माओं को समर्पित
......................................................
मेरी अगर माँ ना होती 
मैं कहाँ से होता,
किसकी अंगुली पकड़ के चलता 
किसका नाम लेकर रोता.

चलना फिरना हँसना गाना 
तेरी भांति माँ मुस्काना 
प्रेम के एक एक आखर 
पग पग संस्कार सिखलाना 
गोदी में सिर रखकर आखिर 
निर्भीक कहाँ मैं सोता .

दुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
जीवन यात्रा के सत्य असत्य
रंगमंच के सारे पक्ष 
कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य 
राजा रानी  के किस्सों संग 
मन माला में कौन पिरोता..

ये जो वायु, आती जाती है 
बल, रूप, यौवन सजाती है 
दुनियां भर के सारे सुख 
नित्य नवीन दिखलाती है 
ये तो ऋण तुम्हारा है माँ 
बस रहता हूँ मैं ढोता.

मेरी अगर माँ ना होती 
मैं कहाँ से होता.

... नीरज कुमार नीर 
चित्र गूगल से साभार                                                                                 #neeraj_kumar_neer
#mothersday #matri-diwas #maa #माँ #मातृदिवस #जीवन #प्रेम 

16 comments:

  1. माँ की सम्पूर्णता को व्यक्त करते हुए बेहद सुन्दर प्रस्तुति !!

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  2. दुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
    जीवन यात्रा के सत्य असत्य
    रंगमंच के सारे पक्ष
    कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य
    राजा रानी के किस्सों संग
    मन माला में कौन पिरोता..
    bahut sundar bhavnatmak prastuti .badhai

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  3. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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  4. बालक के जीवन में माँ के महत्व एवं अनिवार्यता को बखानती बहुत ही सुकोमल रचना ! मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  5. मातृ दिवस पर बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!

    RECENT POST आम बस तुम आम हो

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  6. सच में माँ से ही तो हम हैं। मातृ दिवस पर सुंदर प्रस्तुति।

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  7. रूप एक ऐसा ईश्वर का, जिसे शब्दों में वर्णित करना कितना मुश्किल है. ह्रदय के सुन्दर उदगार.

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  8. बेहद सुन्दर प्रस्तुति....

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  9. bahut hi sunder kavita .plll read this too....http://itsarchana.com/poems/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81/

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  10. मेरी अगर माँ ना होती
    मैं कहाँ से होता,
    किसकी अंगुली पकड़ के चलता
    किसका नाम लेकर रोता.
    प्रिय नीरज जी बहुत प्यारी रचना .माँ का प्रेम तो अनमोल है .हर माँ को नमन ...बधाई

    भ्रमर ५

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  11. आज के दिवस को सार्थक करती पोस्ट ... माँ तो माँ है ...

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  12. माँ के बिना तो दुनिया का सृजन नहीं हो सकता था. सुंदर रचना.;

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  13. दुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
    जीवन यात्रा के सत्य असत्य
    रंगमंच के सारे पक्ष
    कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य
    राजा रानी के किस्सों संग
    मन माला में कौन पिरोता..
    मातृ दिवस पर शानदार प्रस्तुति

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  14. माॅ तो माॅं हे .............

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  15. यह सोचना भी संभव नहीं कि गर माँ न होती...भावपूर्ण प्रस्तुति।

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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