मैं जो दर्द अनुभव करता हूँ , जो दुःख भोगता हूँ, जिस आनंद का रसपान करता हूँ , जिस सुख को महसूस करता हूँ, मेरी कवितायें उसी की अभिव्यंजना मात्र है ।
Thursday 30 October 2014
Wednesday 22 October 2014
आस का दीप जलाए रखना
आप सभी मित्रों एवं पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
इस अवसर पर प्रस्तुत है एक कविता :
हो अंधेरा कितना जग में
आस का दीप जलाए रखना
सत्य की जय सदा होती है
यह विश्वास बनाए रखना।।
जीवन पथ में चलते चलते
मिल जाये बनवास अगर भी
चुपके से आकर दुःस्वप्न में
ढल जाये मधुमास अगर भी
अच्छे दिन फिर फिर आएंगे
हृदय उम्मीद जगाए रखना॥
सीता की रक्षा करने को
रावण से लड़ना पड़ जाये
पाने अपने अधिकारों को
कंसो से भिड़ना पड़ जाये
तुम राम कृष्ण के वंशज हो
मन पराक्रम बनाए रखना ॥
नन्हें दीये की लौ से भी
सौ सौ दीये जल सकते हैं
साहस भरा हो अंतस मे
तो विघ्न सभी टल सकते हैं
विजय वीर को ही वरती है
धीरज ध्वज उठाए चलना
हो अंधेरा कितना जग में
आस का दीप जलाए रखना
सत्य की जय सदा होती है
यह विश्वास बनाए रखना
……
(c) #नीरज_कुमार_नीर
#Neeraj_kumar_neer
21/10/2014
(क्या आपको यह कविता अच्छी लगी ?)
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Friday 17 October 2014
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ
नापना गगन वितान चाहता हूँ ।
फुनगियों पर अँधेरा है
आसमान में पहरा है।
जवाब है जिसको देना
वो हाकिम ही बहरा है।
तमस मिटे नव विहान चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ।
अंबर भरा है कीचड़ से ,
और धरा पर सूखा है।
दल्लों के घर दूध मलाई,
मेहनत कश पर भूखा है।
पेट भरे ससम्मान चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ।
शिक्षा और रोटी के बदले,
धर्म ही लेकिन लेते छीन .
स्वयं ही को श्रेष्ठ बताते
बाकी सबको कहते हीन।
धर्म का ध्येय निर्वाण चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ।
घूमते धर्म की पट्टी बांध
संवेदना से कितने दूर
बात अमन की करते लेकिन
कृत्य करते वीभत्स क्रूर
सबको समझे इंसान चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ ।
….
नीरज कुमार नीर
#neerajkumarneer
(आपको कैसी लगी बताइएगा जरूर )
Monday 13 October 2014
तुम हँसती होगी बजते होंगे जलतरंग
अब भी तेरे आने से गुल बदलते होंगे रंग।
एक हम नहीं तो क्या साहेब पूरी महफिल तो है
अब भी तेरी मुस्कान पे सब होते होंगे दंग ।
नदी वही, सब पर्वत, सागर, शजर, आवो हवा वही
वही संदल की खुश्बू तुम्हें लगाते होंगे अंग ।
चातक के मिट जाने से चाँद कहाँ मिट जाता है
चाँद चाँदनी पूनम रातें रहते होंगे संग ।
अब भी तुम गाती होगी अब भी झरते होंगे फूल
बेरंग ख़िज़ाँ के मौसम मे भर जाते होंगे रंग ।
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(c) नीरज नीर
#neeraj neer
Thursday 9 October 2014
तेरी याद का बादल आँखों से बरसता है
तेरी याद का बादल आँखों से बरसता है
वस्ले यार को दीवाना दिल तरसता है॥
हो जायेगा फ़ना जुदाई की आंच में तपकर
मोम का एक पुतला है गरमी में पिघलता है ॥
इश्क की दुनियां का कायदा ना पूछिए
दीवाना सूरज यहाँ पच्छिम से निकलता है ॥
मुहब्बत में रोना बहुत होता है नीरज
इश्क का दरिया समन्दर से निकलता है ॥
अंधेरे की आदत है शिकायत नहीं कुछ भी
जुगनू की फितरत है अंधेरे मे चमकता है॥
#नीरज_कुमार_नीर
#neeraj_kumar_neer
#gazal दीवाना #deewana #जुदाई
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