Saturday 14 March 2015

पार उतारो जहां प्रकाश है: एक प्रार्थना


मेरे मन के गगन पटल पर
रहो सदा ध्रुव तारा बनकर

लक्ष्य तुम्ही, तुम्ही दिग्दर्शक
अंध पथिक के पथ प्रदर्शक 
पार उतारो जहां प्रकाश है 
तम सागर के नाविक बनकर।

बुला रहा हूँ तुझको कबसे 
प्यास बुझाओ मेरे मन के 
द्वार खुला है हृदय के आओ 
मृदु हवा का झोंका बनकर .. 

मेरे मन के गगन पटल पर
रहो सदा ध्रुव तारा बनकर

नीरज कुमार नीर 

Wednesday 4 March 2015

होली के कुछ दोहे : प्रवासियों के रंग


वर्तमान समय में होली का एक पक्ष यह भी है कि होली के अवसर पर दिल्ली सहित अन्य जगहों पर काम करने वाले  विभिन्न प्रदेशों खास कर पूर्वी यू पी , बिहार , झारखंड आदि से आए लोग होली के अवसर पर अपने मूल पैतृक निवास की ओर रूख करते हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ भाड़ देखनों को मिलती है, लेकिन सभी विघ्न बाधाओं को पार कर ये लोग अपने परिवार जनों से मिलने की अतिशय आकांक्षा लिए निकल पड़ते हैं एवं उन्हें देखकर उनके परिवार के लोगों की भी होली की खुशियाँ  दूनी हो जाती है । प्रस्तुत है इसी विषय पर कुछ दोहे :

पंछी उड़े स्वदेश को, छोड़ परायी नीड़ ।
आई होली बढ़ गयी, अब ट्रेनन में भीड़ ॥

तन भूखे जिनके रहे, देश छोड़ के  जाय।
जगे प्रेम की भूख तो, आपन देश बुलाय ॥

मात पिता बंधु भगिनी, पत्नी प्यारा  पूत।
खुशियाँ ले सबके लिए, घर को चला सपूत ॥

पहुचोगे जब गाँव को, फाग में होगा रँग ।
पीपल बरगद पोखरा, आँगन गली उमंग॥

चैत मास  बड़ा निर्दय , घर सूना कर जाय ।
अपने घर का लाड़ला, आन देश को जाय॥

..................... नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
#HOLI #dohe 

Monday 2 March 2015

नदी नीचे जाकर लवण बन गयी

#कथाक्रम के जुलाई-सितंबर 2015 अंक मे प्रकाशित 

एक सत्यान्वेषी ,
मुक्ति का अभिलाषी
था उर्ध्वारोही।
कर रहा था आरोहण
पर्वत की दुर्लंघ्य ऊचाईयां का।
पर्वत से उतरती नदी ने कहा :
मैदानों में तो जीवन कितना सरल , सुगम है,
यहाँ जीवन है कितना दुष्कर।
अविचलित रहकर इसपर
दिया उसने उत्तर
मैंने भीतर जाकर देखा है,
वाह्य सौंदर्य तो धोखा है।
 मैदानों में जीवन सरल है,
पर राह लक्ष्य की वक्र  है।
जीवन रथ मे लगे
 कर्म फल के दुष्चक्र हैं।
मैं राह सीधी लेना चाहता हूँ।
इसलिए नीचे से ऊपर जाना चाहता हूँ ।
दोनों महार्णव मिलन को आतुर
चल दिये,
अपने अपने यौक्तिक मार्ग पर ।
ऊर्ध्वारोही पा गया अपनी इच्छित ऊँचाई
नदी नीचे जाकर लवण बन गयी।
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#नीरज कुमार नीर
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#kathakram #
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