Sunday 5 July 2015

दीवानी निर्झर बहे

दीवानी निर्झर बहे
तटिनी तोड़े तटबंध
वर्षा  के अनुराग में
छिन्न भिन्न सब अनुबंध

पत्र पत्र मोती झरे
भूतल  सर्वत्र जलन्ध
हरीतिमा का सागर
अनुपमेय प्रकृति प्रबंध..

धान्य गर्भ हीरक भरे
अभिसारित हर्ष सुगंध
प्रेम स्थापित  धरा करे
मातृ - पुत्रक   संबंध॥
                            ....................... नीरज कुमार नीर
#neeraj kumar neer

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...