tag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post6010526314700556867..comments2024-03-13T14:47:23.502+05:30Comments on KAVYASUDHA (काव्य सुधा): कैलाश पर अशांति Neeraj Neerhttp://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-78323414732202138802014-06-22T20:42:02.372+05:302014-06-22T20:42:02.372+05:30कहां से कहां लाकर पटका है सारतत्व को। बहुत सुन्द...कहां से कहां लाकर पटका है सारतत्व को। बहुत सुन्दर। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-47054592224190196612014-06-22T02:03:04.366+05:302014-06-22T02:03:04.366+05:30बिलकुल सहमत हूँ रचना के सार से.बिलकुल सहमत हूँ रचना के सार से.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-59242920948010656422014-06-21T19:43:49.554+05:302014-06-21T19:43:49.554+05:30भूख से मरने वालों को कह दो मेरे सुहृद भाई।
काशी...भूख से मरने वालों को कह दो मेरे सुहृद भाई।<br />काशी में भी कैलाशी भूखे को भोज्य कराते भाई॥<br />मंदिर-मस्जिद महात्म इनका विचलित कों भाई।<br />मातु अन्यपूर्णा पास विराजें देतीं सभी को खिलाई॥<br />मंगल काशी की महिमा न्यारी देखा सभी नें भाई।<br />जो आता स्वागत करता निज वाणी बल विद्या भाई॥sukhmangalhttps://www.blogger.com/profile/03076745453862353480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-6004524731826220642014-06-19T11:30:13.388+05:302014-06-19T11:30:13.388+05:30बहुत ही प्रभावी रचना ... सच लिखा है भूख हर बात को ...बहुत ही प्रभावी रचना ... सच लिखा है भूख हर बात को भुला देती है ... हर नियम बदल देती है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-12369454115014786102014-06-17T07:40:00.571+05:302014-06-17T07:40:00.571+05:30संसार के समस्त अविष्कार भूख (किसी भी प्रकार की) का...संसार के समस्त अविष्कार भूख (किसी भी प्रकार की) का ही परिणाम हैं.........नए विचारों को प्रेषित करती पंक्तियाँ...बहुत खूबज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,,https://www.blogger.com/profile/03756695984315268386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-32434983759092682662014-06-16T22:56:57.523+05:302014-06-16T22:56:57.523+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!Ranjana vermahttps://www.blogger.com/profile/18228698425578643882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-31316842093448970032014-06-16T15:26:01.640+05:302014-06-16T15:26:01.640+05:30 यह कैसी व्याधि.
कोई लोक लाज नहीं
नहीं बचा संस्का... यह कैसी व्याधि.<br />कोई लोक लाज नहीं <br />नहीं बचा संस्कार..<br />एक टुकड़ा रोटी हेतू <br />रहे एक दूजे को मार .<br />आप ही कुछ कीजिये <br />इसका समाधान. <br />मुस्काये शिव जी <br />आँखें खोली, कहा,<br />देवी क्यों हो परेशान.<br />भूख प्रकृति का <br />अटल सत्य है.<br />बहुत ही सुन्दर Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5780542185106038792.post-18873873105599032482014-06-16T08:27:07.528+05:302014-06-16T08:27:07.528+05:30बहुत बढ़िया ।बहुत बढ़िया ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com