Sunday, 10 June 2012

चाँद

आज दो चाँद निकल आया है,
एक आसमां में एक धरती पर उतर आया है.
बाद मुद्दत के मौका ए वस्ल आया है
आज दो चाँद निकल आया है.
वो बंधी हुई चोटि, वो आँखों का काजल
किसी शायर ने खूबसूरत गजल गाया है ,
हुई  मस्जिद में अजान, बजी मंदिर की घंटी
उसने  जो धीमे  से गुनगुनाया है.
ना दौलत ना शोहरत ना कुछ पाने कि चाहत
मेरा इश्क ही मेरा सरमाया है.
मेरे दिल में खुदा के लिए जगह नहीं है
अपने दिल में मैंने सनम को बसाया है.
आज दो चाँद निकल आया है,
एक आसमां में एक धरती पर उतर आया है.
.................नीरज कुमार 'नीर'

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