Sunday, 29 July 2012

उनवान


तुम मेरी कहानी का उनवान बन जाओ.
मेरे दिल में बस जाओ , मेरी जान बन जाओ..

जो भी तुम्हे देखे मुझको याद करे.
तुम मेरी हस्ती की पहचान बन जाओ..

तेरी मीठी बातों को गीतों में ढालूं.
तुम मेरी गीतों की इल्हान बन जाओ..

तुम अपनी आँखों में मुझको बसा लेना.
तुम मेरी मुहब्बत की निगेहबान बन जाओ..

मेरी  जुबां पे हरदम, तेरा नाम रहे.
तुम मेरे होठों की मुस्कान बन जाओ..

तुम मेरी कहानी का उनवान बन जाओ.
मेरे दिल में बस जाओ , मेरी जान बन जाओ..
               “  नीरज कुमार ‘नीर’ ”

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.