Thursday, 28 February 2013

जमी हुई नदी


ज्यादा ठण्ड में नदी जम जाती है,
मैं भी जमा रह बरसों
तुमसे मिलकर मैं पिघलने लगा,
तुम्हारी बांहों में आकर
उड़ गया वाष्प बनकर,
कर्पूर की तरह
अस्तित्वहीन हो गया
आनंद की अस्सीमता में
दर्द अक्सर खो जाता है,

फिर फूल मुरझाएंगे
वृक्ष पत्रहीन हो जायेंगे
नदी जम जायेगी
वसंत हमेशा तो नहीं रहता, 


...... नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer

10 comments:

  1. बढ़िया है आदरणीय-
    शुभकामनायें स्वीकारें ||

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    1. शुक्रिया रविकर जी.

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  2. sundar rachna neeraj ..ye rajkumar ka sukh hai iska arth nahi samjhi
    meri nai post par tumhara swagat hai

    recent post Os ki boond: उम्मीदें ....

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    1. शुक्रिया पंखुरी . राजकुमार का सुख है, इसका अर्थ यह है कि " कोई "मेरे नसीब में नहीं और वो जिसके नसीब में है, वो तो कोई राजकुमार ही होगा.

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  3. आनंद की अस्सीमता में
    दर्द अक्सर खो जाता है...सही कहा आपने..
    बहुत बढ़िया ...

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    1. बहुत शुक्रिया कविता जी.

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  4. असीम आनंद दर्द को भुला देता है .....बसंत सदा तो नहीं रहता ....बहुत सटीक .....इसके साथ ही "तुम्हारी बाहें बहुत कोमल हैं"....इस बात का द्योतक कि बसंत ना भी हो ...तुम साथ हो तो ....सुख भी संग है .....बहुत भाव-प्रण

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया.

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....

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  6. जीवन में कहाँ सब एक सा रहता है !! शानदार तुलना ! शानदार अभिव्यक्ति कविवर नीरज जी

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