Friday, 15 March 2013

अँधेरी रात का चाँद


बड़ी अजीब  मेरे  मुहब्बत  की  कहानी  है
दिल है जिसका, वो किसी और की दीवानी है.

हर ख्वाहिश किसी  की पूरी  नहीं होती
ये मुकद्दर की बात है, तहरीरे पेशानी है.

किसी दरख़्त पर  मुझे  पनाह नहीं  मिली
मैं ऐसा परिंदा हूँ, सफर जिसकी जिंदगानी है.

मैं  चाँद  हूँ  खोया  हुआ अँधेरी  रात का
चांदनी  मेरे  लिए,  गोया  बेमानी  है.

..................नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
#chand #taqdeer

13 comments:

  1. बहुत खूबसूरत शेर. वाकई ज़िन्दगी की रफ़्तार कुछ इस कदर बढ़ चुकी है ज़िन्दगी ही गुम हो रही है हमसे.

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  2. बढ़िया है आदरणीय--
    आभार आपका ||-

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  3. वाह नीरज जी वाह मज़ा आ गया लाजवाब

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  4. एक बढ़कर एक शेर. उम्दा खयालात. सुंदर लेखन.

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  5. मैं ऐसा परिंदा हूं ... बहुत ही लाजवाब शेर है ...
    अलग अंदाज़ के शेर हैं आपके ... मज़ा आ गया ....

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  6. वाह क्या बात है ...हर शेर एक से बढ़कर एक ...अँधेरी रात के चाँद के लिए चाँदनी बेमानी है ...वाह

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  7. सभी शेर बहुत कमाल. दाद स्वीकारें.

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  8. लाजवाब ...बहुत खूबसूरत अंदाज़...

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  9. मैं ऐसा परिंदा हूँ...बहुत खूब शेर लगा...बेहतरीन शेरों के लिए हमारी बधाई स्वीकारें....

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  10. मैं ऐसा परिंदा हूँ...बहुत खूब शेर लगा...बेहतरीन शेरों के लिए हमारी बधाई स्वीकारें....

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  11. अच्छा नीरज...? आप ऐसा भी लिख लेते है....!! बढ़िया है-

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  12. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  13. कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    शब्दों की मुस्कुराहट पर अक्सर मैं

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