Wednesday, 20 November 2013

जहरीली शराब



टूटी चूड़ियाँ
बह गया सिन्दूर
साथ ही टूटा
अनवरत
यंत्रणा का सिलसिला
बह गया फूटकर
रिश्तों का एक घाव
पिलपिला
अब चाँद के संग नहीं आएगा
लाल आँखें लिए
भय का महिषासुर
कभी कभी अच्छा होता है
असर
जहरीली शराब  का ..

... नीरज कुमार ‘नीर’ 
#neeraj_kumar_neer 

11 comments:

  1. वाह बहुत ख़ूब

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  2. बहुत सुंदर रचना ! नीरज जी.

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  3. बहुत ही सशक्त ...प्रभावशाली रचना...!!!!!

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  4. सटीक प्रस्तुति-

    आभार भाई जी--

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  5. बिलकुल ठीक कहा आपने.

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  6. बहुत ही ससक्त और बोलते रचना चित्र ........

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  7. wahh ..gajab ki avivyakti
    अब चाँद के संग नहीं आएगा
    लाल आँखें लिए
    भय का महिषासुर
    कभी कभी अच्छा होता है
    असर
    जहरीली शराब का ..

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  8. दिल को चीरती हुई निकलती है रचना ... अर्थपूर्ण ...

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  9. जब कोई इतने दर्द देता हो तब ................ जहरीली शराब का असर काम करना भी जरुरी है ! दिल तक चोट करते शब्द नीरज जी

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  10. लाखों बह गए इस बोतल के पानी में,
    जिसने पी शराब न उभरे जिंदगानी में!
    शराब व्यसन पर सुन्दर रचना साभार! आदरणीय नीरज जी!
    धरती की गोद

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