Friday, 28 February 2014

जिंदगी ने रोज गम इतने दिए


2122       2122       212 
फाइलातुन   फाइलातुन   फाइलुन
(बहरे रमल मुसद्दस महजूफ)
..............................
फूल सी जब हर  कली होने लगी
बागबाँ को तब खुशी  होने लगी

जाम साकी ने पिलाया हुस्न का
हर किसी को तिश्नगी होने लगी

जब मिले तुम जिंदगी की राह  में
जिंदगी अब जिंदगी होने लगी

देख मीठापन नदी के आब का ,
सागरों में खलबली होने लगी .

आसमां में उगता सूरज देखकर
चाँदनी भी अनमनी होने लगी .

चुभ रहे थे शूल बन कर आँख में ,
अब उसी की बंदगी  होने लगी.

जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
गम से ही अब दिल्लगी होने लगी .

... #Neeraj_ Kumar_ Neer

#नीरज कुमार नीर 

18 comments:

  1. पढ़कर सुखद अनुभूति होने लगी।

    ReplyDelete
  2. जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी.
    लाज़वाब शैर कहे हैं ज़नाब ने :

    जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी.
    बेहतरीन गज़ल कही है।

    ReplyDelete
  3. अह्सास खूबसूरत होने लगी
    बहुत सुंदर.

    ReplyDelete
  4. डूब कर चाहा जिसे शामों सुबह
    आज वही फिर अजनवी होने लगी .... बहुत खूबसूरत गज़ल ....!!!

    ReplyDelete
  5. डूब कर चाहा जिसे शामों सुबह
    आज वही फिर अजनवी होने लगी ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ....!!

    ReplyDelete
  6. जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी.

    बहुत खूब,सुन्दर गजल ...!

    RECENT POST - फागुन की शाम.

    ReplyDelete
  7. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल .......

    ReplyDelete
  8. सुन्दर ग़ज़ल

    ReplyDelete
  9. जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी

    बहुत खूब... पूरी गज़ल ही कामयाब हुई...

    ReplyDelete
  10. " चुभ रहे थे शूल बन कर आँख में ,
    अब उसी की जुस्तजू होने लगी."......मेरा पसंदीदा
    बहुत खूब .......

    ReplyDelete
  11. बहुत खूबसूरत गज़ल नीरज जी ... लाजवाब शेर हैं ...

    ReplyDelete
  12. जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी.

    आपकी निरंतर प्रेरक उत्प्रेरक अर्थ गर्भित टिपण्णियों के लिए आपका आभार।

    मुश्किलें मुझ पर पड़ी इतनी

    के आसान हो गईं।

    ReplyDelete
  13. शानदार प्रस्तुति. से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट
    "सपनों की भी उम्र होती है " (Dreams havel life) पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

    ReplyDelete
  14. जिंदगी ने रोज गम इतने दिए
    हर नए गम से ख़ुशी होने लगी.
    ..........................बेहतरीन गज़ल कही है।

    ReplyDelete
  15. bahut badhiya Neeraj ji. Khas kar ki aakhiri sher.

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.