Wednesday, 23 April 2014

हम फिर से गुलाम हो जायेंगें


हमारे जीवन मूल्य
सरेआम नीलाम हो जायेंगें 
हम फिर से गुलाम हो जायेंगें ..

स्वतंत्रता का काल स्वर्णिम 
तेजी से है बीत रहा 
हासिल हुआ जो मुश्किल से 
तेजी से है रीत रहा. 
धरी रह जाएगी नैतिकता, 
आदर्श सभी बेकाम हो जाएँगे .
हम फिर से गुलाम हो जायेंगे ..

कहों ना !  जो सत्य है. 
सत्य कहने से घबराते हो 
सत्य अकाट्य है , अक्षत 
छूपता नहीं छद्मावरण से 
जो प्राचीन है , धुंधला, 
गर्व उसी पर करके बार बार दुहराते हो. 
टूटे हुए कलश, भंजित प्रतिमा 
ध्वस्त अभिमान, लूटी स्त्रियाँ 
नत  सर .
ये इतिहास हैं.
ये  सत्य हैं, अकाट्य , अक्षत, 
गर्व करो या स्वीकारो 
या उठा कर फ़ेंक आओ इन पन्नो को 
अरब सागर की अतल गहराइयों में.
पर सत्य नहीं बदलेगा 
सत्य नग्न होता है. 
सत्य पे झूठ के आवरण 
नाकाम हो जायेंगें. 
हम फिर से गुलाम हो जायेंगे ..

नैतिकता और कायरता में 
पुरुषार्थ भर का अंतर है 
कायरों की नैतिकता  
चलती नहीं अनंतर है. 
सूरज को हाथों से ढकने के यत्न 
नाकाम हो जायेंगे 
हम फिर से गुलाम हो जायेंगे ..
नीरज कुमार नीर 
………  #Neeraj_kumar_neer
#freedom #secularism #motivational #poem 

7 comments:

  1. जो पुरुषार्थी हैं वे परिवर्तन लाकर अपने भविष्य को अपनी आशाओं और स्वप्नों के अनुरूप ढाल लेने की क्षमता भी रखते हैं ! अतीत में और भी बहुत कुछ है जिस पर गर्व किया जा सके ! निराशा और नकारात्मकता मनोबल कम करती है ! समय की माँग जोश, हौसले और सकारात्मकता की है ! शुभकामनायें !

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    1. सही कहा आपने जो पुरुषार्थी हैं वे परिवर्तन लाने में सक्षम हैं ... यही मेरी कविता का मर्म भी है , जो कायर होते हैं वे ना अपना भला कर सकते है ना अपने समाज एवं देश का , लेकिन ऐसे कायर लोग त्वरित लाभ की आशा में , सत्ता के लालच में अपनी कायरता पर नैतिकता एवं आदर्शवाद का मुलम्मा चढ़ा देते हैं एवं उसी को सही बताते है ... क्या यह सत्य नहीं है कि हम १२०० वर्षों तक गुलाम रहे .... लेकिन उस गुलामी के बाद पायी आज़ादी से भी हमने कुछ नहीं सीखा , अभी भी वक्त है चेतने का , झूठ और सत्य के बीच के अंतर को पहचानने का , अपनी पुरानी गलतियों को पहचानने का , उनसे सीख लेने का एवं अपनी आने वाली संतति को ऐसा वातावरण देने का जिसमे वे स्वतंत्रता एवं स्वाभिमान पूर्वक सांस ले सके एवं इज्जत के साथ सर उठा का जी सकें.

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  2. नयी सोच को जागृत करने की आवश्यकता है, अन्यथा हम गुलाम हो जायेंगे. सार्थक रचना के लिए बधाई.

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  3. नैतिकता खत्म होती रही ... जयचंद पैदा होते रहे तो जल्दी ही वो समय आ जाएगा ...

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  4. उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मतदान कीजिए

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  5. आपकी चिंता उचित ही है. बहुत बड़े परिवर्तन की ज़रुरत है.

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  6. नैतिकता और कायरता में
    पुरुषार्थ भर का अंतर है
    कायरों की नैतिकता
    चलती नहीं अनंतर है.
    सूरज को हाथों से ढकने के यत्न
    नाकाम हो जायेंगे
    हम फिर से गुलाम हो जायेंगे ..
    एकदम सच और सार्थक

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