Monday, 7 November 2016

पूर्ण मनोकामना का पर्व है छठ

सूर्य की उपासना का पर्व है छठ 
प्रकृति की आराधना का पर्व है छठ 

कठोर तप , तन और मन की शुचिता  
सबसे प्रेम और भाव की शुद्धता 
लोक आस्था का महान उत्कर्ष 
श्रद्धा और भावना का पर्व है छठ 

उगते,  डूबते दोनों को नमन करें 
मातृ शक्ति को कृतज्ञता अर्पण करें 
राजा और रंक अंतर नहीं कोई 
ईश्वर की साधना का पर्व है छठ 

बूढ़े और जवान सभी में उत्साह 
परिवार जनों से मिलने की चाह 
सूप, दौरा, अर्घ्य , ठेकुआं की खुश्बू 
पूर्ण मनोकामना का पर्व है छठ 
नीरज कुमार नीर / 3 .11 .2016 

4 comments:

  1. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १५०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है - १५०० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर ... इस पर्व को बाखूबी लिखा है आपने ... सभी को छट पर्व की हार्दिक बधाई ...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.