Sunday, 5 May 2013

तुम ना होते तो


तुम ना होते तो कुछ भी ना होता.

तुम ना होते तो साँसे ना होती,
 तुम ना होते तो हवा भी ना होती ,
तुम्हारे बिन तो कुछ भी ना होता,
सावन ना आता घटा भी ना छाती,
ना पलके झुकाती ना किसी से लजाती ,
दिल की उमंगों को ना आकाश मिलता ,
ना उड़ती हवा में ना परवाज पाती .
ना मस्ती में  फिरती  दुपट्टे उड़ाती .
दिल की धडकनों को फिर किसको सुनाती.
ना होठों पे लाली, ना काजल लगाना
ना घर से निकलती ना बातें बनाती
तुम ना होते तो कुछ भी ना होता .
ना साँसे महकती,  ना जुल्फ लहराती
ना कोई सपने दिखाता, ना नींदे चुराता,
ना किसी से घबराती, ना  छुपती छुपाती.
तुम ना होते तो कुछ भी ना होता .
..................  नीरज कुमार ‘नीर’ 

6 comments:

  1. अगर तुम न होते तो कुछ भी न होता,,,

    बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  2. बहुत सुंदर ...हमेशा की तरह रोमानी :)

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  3. बहुत ही सुन्‍दर

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  4. नीरज जी , एक स्त्री के मनोभावों को बहुत सुन्दरता से पेश किया है

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