Saturday, 8 June 2013

मजा कुछ और है



दिन रात मुहब्बत में रहने का मजा कुछ और है,
तेरी  जुदाई  में  जलने  का मजा  कुछ  और   है.

यादों   के  मौसम  में  आंखे  बंद  करके  रखता  हूँ ,
तस्सवुर में महबूब से मिलने का मजा कुछ और है.

यूँ तो रौशनी  बहुत  जरूरी है,  जिन्दगी के लिए,
कुछ पल अंधेरों से गुजरने का मजा कुछ और है.

मंजिल तो पा जाते हैं सभी सीधी राह चलके,
राहों में  कभी भटकने  का मजा कुछ और है.

बंद हो दरवाजे चाहे  दरीचे सभी जानां  के घर के,
महबूब की गली से गुजरने का मजा कुछ और है.

यूँ तो मसर्रत बहुत है फूलों सा खिलने में ‘नीरज’,
किसी की खातिर बिखरने का  मजा कुछ और है.

हक की  राह  में  मौत  भी  आ  जाये  तो  क्या,
सच्चाई की खातिर मरने का मजा कुछ और है.

................. नीरज कुमार ‘नीर’    
#neeraj_kumar_neer 


22 comments:

  1. वाह ...बहुत सुंदर गज़ल
    हरेक शेर खूबसूरत

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  2. …बहुत ही सच्ची रचना ,,,सुन्दर अभिव्यक्ति ...बधाई आपको

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना।

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  4. आपकी यह रचना कल रविवार (09 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. हर शेर बहुत प्यारा है.

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  6. बेहतरीन ग़ज़ल !!

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  7. एक शेर जबरदस्त, सुंदर गज़ल.

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  8. ऱोज-ओ-शब् बसर-ए- उल्फ़त का लुफ्त कुछ अलहदा..,
    चिरागे-गिर्द-ओ-गम में सुलगने का लुफ्त कुछ अलहदा.....

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  9. वाह!!!क्या बात है शानदार,बहुत ही उम्दा गजल ,,

    RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )

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  10. बहुत सुंदर गज़ल ! हर शेर लाजवाब है ! बहुत खूब !

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  11. bahut sundar rachna hai ....

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  12. किसी के लिए मन में प्यार हो बेसुमार तो ऐसी ही सुन्दर बोल निकलते है कंठ से ..
    बहुत सुन्दर रचना ..

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  13. लव्जों में बयाँ हुआ जो किस्सा
    ये है जिंदगी का हिस्सा .....बेहतरीन शायरी

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  14. मजनुन भाप लिया लिफ़ाफ़ा देखकर,
    रखते है आप ही से कुछ विचार,
    आ गये है आपके ब्लाग पर भटककर,
    फ़िर हमारे आने के दिखेंगे आपको आसार।

    कृपया बाताये फ़िर आपके ब्लाग पर कैसे आये?
    छोड रहे अपना नाम पता, लाइक करे यदि कविता भाये....
    निशा मोटघरे
    औरंगाबाद
    महाराष्ट्रा

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  15. बहुत खूब ...
    हर शेर ताजगी लिए ... प्यार की सुहानी फुहार लिए ...
    खूबसूरत गज़ल ...

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  16. बहुत ही बढिया

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  17. बहुत बढ़िया .... वाह

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  18. मंजिल तो पा जाते हैं सभी सीधी राह चलके
    राहों में कभी भटकने का मजा कुछ और है !
    क्या बात है मजा आ गया - डी पी माथुर

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  19. वाह बहुत खूब गजल...
    :-)

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