अर्द्ध रजनी है , तमस गहन
है,
आलस्य घुला है, नींद सघन
है.
प्रजा बेखबर, सत्ता मदहोश है,
विस्मृति का आलम, हर कोई
बेहोश है.
ऐसे में कौन रोता है ,
यहाँ?
रंगशाला रौशन है, संगीत
है, नृत्य है,
फैला चहुँओर ये कैसा
अपकृत्य है.
जो चाकर है, वही स्वामी है
जो स्वामी है, वही भृत्य
है .
ऐसे में कौन रोता है ,
यहाँ?
बिसात बिछी सियासी चौसर की
शकुनी के हाथों फिर पासा
है .
अंधे, दुर्बल के हाथों
सत्ता है
शत्रु ने चंहुओर से फासा
है .
पांचाली का रूदन अरण्य है,
(दु) शासन का कृत्य जघन्य
है .
शांत पड़े मुरली के स्वर
स्व धर्म का अभिमान शून्य
है.
ऐसे में कौन रोता है ,
यहाँ?
कल की किसी को परवाह नहीं
है,
स्वदेश हित की चाह नहीं है
सबकी राहें हैं जुदा जुदा
देश की एक कोई राह नहीं .
ऐसे में कौन रोता है , यहाँ?
#neeraj_kumar_neer
.............. नीरज कुमार 'नीर'
चित्र गूगल से साभार
वेदना को बहुत सार्थक अभिव्यक्ति दी है. अति सुन्दर कृति.
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ReplyDeleteवर्तमान स्थिति का बहुत सुन्दर प्रतितिकरण !
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"प्रतितिकरण" को "प्रस्तुतीकरण" पढ़ा जाय
Deleteसामायिक स्थिति की बढ़िया कटाक्ष !!
ReplyDeleteबिल्कुल यही हालत हैं... सभी अपने में मस्त हैं कौन फ़िक्र करने वाला है...
वाह वाह बहुत ही सुंदर सृजन ! बेहतरीन प्रस्तुति,
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
बहुत खूब....बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteवेदना अब मौन भी होती नहीं..बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति बहुत खूब ,
ReplyDeleteपांचाली का रूदन अरण्य है,
ReplyDelete(दु) शासन का कृत्य जघन्य है .
शांत पड़े मुरली के स्वर
स्व धर्म का अभिमान शून्य है.
ऐसे में कौन रोता है , यहाँ?
इस भयावह स्थिति में तो प्राकृति भी क्रंदन कर उठेगी ... काश की समय रहते चक्र का संधान हो जाए ...
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletedownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
देश की एक कोई राह नहीं .
ReplyDeleteऐसे में कौन रोता है , यहाँ?
.... बढ़िया कटाक्ष !!
संवेदनाओं का आकाल रोता हैं यहाँ पर
ReplyDeleteprya neerj ji,aap ki pida bahut kuchh kahti hai.
ReplyDeletepanchali ek hai dusasan anek hai
kirshna ji kab aaenge ,panchali ki laj bachaenge.
आह!!!
ReplyDeleteयहाँ कोई नहीं रोता मेरे तुम्हारे लिए....
अपने रोने हैं सबके पास....
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
बेहद गहन .....
सस्नेह
अनु
आज के यथार्थ का सटीक चित्रण करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसमसामयिक विषय पर सोचने को मजबूर करती है आपकी रचना !!
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