Wednesday, 4 December 2013

प्रीति का बंधन


मेरे ह्रदय के तारों को 
प्रिय तुम स्पंदन मत देना. 

मैं पंछी उन्मुक्त गगन का 
मुक्त हवा में उड़ने वाला. 
उड़ने दो मुझे पंख पसार
प्रीति का बंधन मत देना.
मेरे ह्रदय के तारों को प्रिय तुम स्पंदन मत देना .

हठ करूँ मैं कभी प्रणय की 
तुम प्रेम निवेदन ठुकराना. 
भाव हीन पाषाण ह्रदय से 
तुम प्रेम समर्पण मत देना .
मेरे ह्रदय के तारों को प्रिय तुम स्पंदन मत देना 

प्रेम कोई अनुबंध नहीं 
प्रेम समर्पण जीवन पूर्ण .
रहने दो मुझे जैसा हूँ , 
मुझे वक्र दर्पण मत देना.
मेरे ह्रदय के तारों को प्रिय तुम स्पंदन मत देना. 

जीवन मृत्यु की थाती है 
दीये की घटती बाती है 
मैं देव नहीं देवालय का 
मुझे चन्दन वंदन मत देना 
मेरे ह्रदय के तारों को प्रिय तुम स्पंदन मत देना ..
#neeraj_kumar_neer 
......... नीरज कुमार नीर

चित्र गूगल से साभार 

23 comments:

  1. न कहते कहते प्रेम का पूरा प्रदर्शन।

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5-12-2013 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

    ReplyDelete

  3. अभिव्यक्ति का शिखर छू रही है ये रचना।, अभिनव और परम्परा गत प्रतीकों का सुन्दर निर्वाह हुआ है मय रूपक तत्व के। शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया !आपकी स्नेह पूर्ण टिप्पणियों का।

    ReplyDelete
  4. क्या बात है -
    बहुत खूब-
    आभार भाई नीरज

    ReplyDelete
  5. प्रेम की अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा ...तन मन तृप्त करने वाली रचना !
    नई पोस्ट वो दूल्हा....
    latest post कालाबाश फल

    ReplyDelete
  6. प्रेम कोई अनुबंध नहीं
    प्रेम समर्पण जीवन पूर्ण .
    रहने दो मुझे जैसा हूँ ,
    मुझे वक्र दर्पण मत देना...
    प्रेम मन से मन का बंधन है ... इसे अनुबंध के करीब डाला भी नहीं जा सकता ...
    प्रेम रस में पगी लाजवाब अभिव्यक्ति ....

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर..बेहतरीन रचना...

    ReplyDelete
  8. वा वाह !! वा वाह !!

    ReplyDelete
  9. आनंद का संचार करती रचना.

    भाव हीन पाषाण ह्रदय से
    तुम प्रेम समर्पण मत देना .

    इस प्रेम से हीन होना ही अच्छा. बहुत सुन्दर बात कही है.

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर..बेहतरीन .......

    ReplyDelete
  11. स्पंदन ही तो जीवन है
    अश्रु में ही अनुराग है
    अश्रु में ही वैराग्य है
    झंकृत न हुआ मन का कोना
    तो - जीवन को कैसे जानोगे
    स्पंदन से ही जीवन है

    ReplyDelete

  12. दोबारा पढ़ने में रचना में भाव पक्ष की गहराई का प्रत्यक्ष बोध हुआ। सुन्दर रचना। आभार आपकी टिपण्णी का।

    ReplyDelete
  13. बेजोड़ रचना बधाई.......!!
    मैं पहले भी इसमें कमेंट्स दे चुकी हूँ स्पैम में होगा

    ReplyDelete
  14. bahut hi khoob.. mubarakh ho..
    Please Share Your Views on My Website.. Thank You !

    ReplyDelete
  15. वाह वाह क्या बात है

    ReplyDelete
  16. कल 14/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर

    [प्यार का गुल खिलाने खतो के सिलसिले चलने लगे..हलचल का Valentine विशेषांक ]

    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  17. The use of Illustrations you use along with your depiction is superb ... that enhances beauty of your expressions ... best wishes ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.