दीवानी निर्झर बहे
तटिनी तोड़े तटबंध
वर्षा के अनुराग में
छिन्न भिन्न सब अनुबंध
पत्र पत्र मोती झरे
भूतल सर्वत्र जलन्ध
हरीतिमा का सागर
अनुपमेय प्रकृति प्रबंध..
धान्य गर्भ हीरक भरे
अभिसारित हर्ष सुगंध
प्रेम स्थापित धरा करे
मातृ - पुत्रक संबंध॥
....................... नीरज कुमार नीर
#neeraj kumar neer
तटिनी तोड़े तटबंध
वर्षा के अनुराग में
छिन्न भिन्न सब अनुबंध
पत्र पत्र मोती झरे
भूतल सर्वत्र जलन्ध
हरीतिमा का सागर
अनुपमेय प्रकृति प्रबंध..
धान्य गर्भ हीरक भरे
अभिसारित हर्ष सुगंध
प्रेम स्थापित धरा करे
मातृ - पुत्रक संबंध॥
....................... नीरज कुमार नीर
#neeraj kumar neer
सुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर काव्य निर्झर ...
ReplyDeleteबाहर मेघ बरस रहे हैं और इधर काव्य ! दोनों की ध्वनि मन मोह ले रही है ! शानदार प्रस्तुति कविवर नीर साब
ReplyDeleteप्रकृति के अनुपम प्रबंध को कोई जवाब नहीं ...सब अपने हिसाब से चलता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर प्रस्तुति |
ReplyDeleteसुंदर और आकर्षक प्रस्तुति नीरज जी. मेरे ब्लॉग पर भी आइए. आपका सहयोग अपेक्षित है.
ReplyDeletehttp://iwillrocknow.blogspot.in/
https://www.facebook.com/poetnitish