जिस देश में शहीदों का कद्र नहीं हो उस देश का भविष्य सुरक्षित नहीं रहता। अभी हाल ही में पंजाब में आतंकवादी घटना हुई जिसमे वहाँ एक एस पी बलजीत सिंह शहीद हो गए। जिस दिन याक़ूब मेनन को फांसी दी गयी उसी दिन पाकिस्तान बोर्डर पर एक भारतीय सैनिक को टार्गेट कर के शहीद कर दिया गया । एक आतंकवादी , सैकड़ों मासूमों , बेगुनाहों के हत्यारे को जब फांसी दी गयी तो उसके पूर्व एवं पश्चात उसकी जितनी चर्चा इस देश के बुद्धिजीवियों एवं मीडिया ने की उसका एक प्रतिशत भी इस देश के लिए शहीद होने वाले उपरोक्त बहादुरों के बारे में नहीं किया... क्या इस देश का मीडिया एवं बुद्धिजीवि वर्ग भी यही सोचता है कि सिपाही तो भर्ती ही मरने के लिए होता है ? तो याद रखिए इन्हीं सिपाहियों के पास भाग जाने का अवसर भी हमेशा ही होता और जब ये सिपाही भाग खड़े होंगे तो इन्हीं आतंकवादियों के हाथों जिनके लिए ये बुद्धिजीवि आँसू बहाते हैं सब मारे जाएँगे .... शहीदों का सम्मान कीजिये , नमन कीजिये उन्हें जो हँसते हँसते देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देते हैं ....... इन्हीं शहीदों को समर्पित है यह कविता ।
माँ शहीद की रोती है
.......................
धरती का सीना फटता है
जब माँ शहीद की रोती है
सीने से लगा चित्र प्रिय की
वीरों की विधवा सोती है ...
पीघल जाता है लोहा भी
टकराकर जिनकी छाती से
धन दौलत से प्यार अधिक
जिनको देश की माटी से
उनके घर में छत नहीं है
बच्चों के आँख में मोती है
धरती का सीना फटता है
जब माँ शहीद की रोती है
जिनके साहस के दम पर
हम नींद चैन की सोते हैं
अपने सबल कंधो पर जो
भार देश का ढोते है
उनके बच्चों के नींद पर
दखल भूख की होती है
धरती का सीना फटता है
जब माँ शहीद की रोती है
जिनके पद की चापों से
हिमालय में होता कंपन था
हर हर महादेव की बोली से
करता दुश्मन क्रंदन था
पेट भर रोटी के सपने
उनकी विधवा सँजोती है
धरती का सीना फटता है
जब माँ शहीद की रोती है
देश हेतू हुए न्यौछावर
देश की खातिर प्राण दिया
माता पिता पत्नी से बढ़कर
अपने देश को मान दिया
इनके वृद्ध पिता के तन
फटी हुई एक धोती है
धरती का सीना फटता है
जब माँ शहीद की रोती है
............ #नीरज कुमार नीर / 24/01/2015
#NEERAJ_KUMAR_NEER
#शहीद #माँ #deshbhakti #deshbhakti_geet #patriotism #independence #आज़ादी #shahid #martyr #sipahi #soldier
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-08-2015) को "आशाएँ विश्वास जगाती" {चर्चा अंक-2055} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, एक के बदले दो - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर रचना | एक शहीद को दी गाई सच्ची श्रधांजलि |
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना । सबसे पहले उनके मान सम्मान का ध्यान रखना चहिय ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशीर्षक और काफी ध्यान से कुछ शब्द पढ़ने पर पता चल रहा है कि आपकी यह कविता अच्छी ही होगी . लेकिन आपने प्रकाशित पृष्ठ ही पोस्ट कर दिया है . फॉन्ट बहुत छोटा होने के कारण स्पष्ट नही पढ़ी जा रही . लोग कैसे बिना पढ़े ही कैसे टिप्पणी कर देते हैं .
ReplyDeleteआदरणीया मैंने अलग से भी कविता को डाल दिया है...... आभार आपका
Deleteअच्छी कविता है . मैं अनायास ही -जब शहीद की माँ रोती है ..पढ़ रही हूँ . ( आपकी पंक्ति है जब माँ शहीद की रोती है )खैर . सचमुच जहाँ शहादत भाव है वहाँ बाधाओं को ललकारने व मिटाने का संकल्प है . कविता सच के करीब है . शहीद की माँ वन्दनीया है .
ReplyDeleteअच्छी कविता है . मैं अनायास ही -जब शहीद की माँ रोती है ..पढ़ रही हूँ . ( आपकी पंक्ति है जब माँ शहीद की रोती है )खैर . सचमुच जहाँ शहादत भाव है वहाँ बाधाओं को ललकारने व मिटाने का संकल्प है . कविता सच के करीब है . शहीद की माँ वन्दनीया है .
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने । बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने । बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।
ReplyDeleteये दुर्भाग्य है देश का की बलिदान देने वालों को की कद्र नहीं ... कितनी ही माएं रोटी हैं, कलपती हैं उनके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होता ... गहरे जज्बातों को शब्द दिए हैं आपने ...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण हृदयस्पर्शी रचना
ReplyDeleteवीर शहीदों को शत -शत नमन..
neeraj ji shahidon kay ghar walo ka dard bakhubhi bayan kiya apne.....veer shahidon ko naman
ReplyDeleteसुन्दर, सार्थक एवं मर्स्पर्शी ! बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteमुझे आप की रचना बहुत अच्छी बहुत सच्ची लगी । देश के शहीदों को नमन
ReplyDeleteमुझे आप की रचना बहुत अच्छी बहुत सच्ची लगी । देश के शहीदों को नमन
ReplyDeleteहम अपने घरों में छुपे हुए जब उनकी शहादत का मजाक ले ते हैं तब मन के कोने में कहीं ये भी आता होगा की वो भी किसी माँ का बेटा रहा होगा , किसी बहन का भाई और किसी का पिता रहा होगा ! बुद्धिजीवियों का काम सदैव से देश और समाज की जड़ें काटना ही रहा है इसलिए उनके काम पर मैं कुछ नही कहूँगा ! उनकी रोज़ी रोटी इसी से चलती होगी ! सुन्दर काव्य नीर साब
ReplyDeleteमार्मिक चित्रण
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