अनिश्चितता की बस्ती में
सपनो के महल बनाकर रहना .
यथार्थ को छोड़, भागना परछाईयों के पीछे.
अंक के पहले शून्य लगाने का
कोई मूल्य होता है?
उचित राह की पहचान अगर न हो,
जिंदगी ठहरती नहीं किसी चौराहे पर,
एक राह ले ही लेती है.
जिन्दगी की राह में पीछे छूटे चौराहे पे
वापस जाना भला कब मुमकिन हुआ है ,
जो अच्छा हो सकता था ,
वही बुरा भी हो सकता था .
जो हुआ नहीं उसकी निश्चितता क्या .
विमोह (infatuation) और प्यार के बीच की रेखा बहुत ही महीन है
और कभी कभी अदृश्य सी लगती है .
किसी सम्बन्ध की परिणति अच्छी ही होगी
असंभव है तय कर पाना,
सम्बन्ध के शुरू होने के पहले ही .
दूर के ढोल अक्सर सुहावन होते हैं .
दर्द जब बन जाए जिन्दगी
तो दर्द भी अच्छा लगने लगता है.
लेकिन दर्द ही जिन्दगी नहीं होती.
पुराने जख्मो को ट्रोफियों की तरह
जिन्दगी के शो केस में सजाना ,
सूखे फूलों को सहेज कर रखना
खुशबू की उम्मीद में उम्र भर
सिर्फ दर्द दे सकता है , सुकून नहीं .
यादों की संदूक में जिंदगी को कैद मत रखिये .
जिन्दगी को धुप दिखाना जरूरी है .
… …… नीरज कुमार 'नीर'
सपनो के महल बनाकर रहना .
यथार्थ को छोड़, भागना परछाईयों के पीछे.
अंक के पहले शून्य लगाने का
कोई मूल्य होता है?
उचित राह की पहचान अगर न हो,
जिंदगी ठहरती नहीं किसी चौराहे पर,
एक राह ले ही लेती है.
जिन्दगी की राह में पीछे छूटे चौराहे पे
वापस जाना भला कब मुमकिन हुआ है ,
जो अच्छा हो सकता था ,
वही बुरा भी हो सकता था .
जो हुआ नहीं उसकी निश्चितता क्या .
विमोह (infatuation) और प्यार के बीच की रेखा बहुत ही महीन है
और कभी कभी अदृश्य सी लगती है .
किसी सम्बन्ध की परिणति अच्छी ही होगी
असंभव है तय कर पाना,
सम्बन्ध के शुरू होने के पहले ही .
दूर के ढोल अक्सर सुहावन होते हैं .
दर्द जब बन जाए जिन्दगी
तो दर्द भी अच्छा लगने लगता है.
लेकिन दर्द ही जिन्दगी नहीं होती.
पुराने जख्मो को ट्रोफियों की तरह
जिन्दगी के शो केस में सजाना ,
सूखे फूलों को सहेज कर रखना
खुशबू की उम्मीद में उम्र भर
सिर्फ दर्द दे सकता है , सुकून नहीं .
यादों की संदूक में जिंदगी को कैद मत रखिये .
जिन्दगी को धुप दिखाना जरूरी है .
anubhotiyo kaa achchaa chitran
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ReplyDelete.बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने आभार क्या ये जनता भोली कही जाएगी ? # आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
सच बात है, सहमत। खुलकर जिया जाये।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सन्देश है इस रचना में. यूं दर्द की ट्रोफियाँ संभाल कर बिरले ही लोग कुछ सकरात्मक कर पाते है. अक्सर वो विनाशकारी ही होता है. लेकिन जीवन और दर्द का साथ तो आखिरी दम तक चलता है. ऐसे में उससे बचने के लिए हौसला वही चाहिए जो नून मीम दानिश ने इस शेर में कहा था-
ReplyDeleteमैं रेज़ा-रेज़ा तो होता हूँ हर शिकस्त के बाद
लेकिन निढाल बहुत देर तक नहीं रहता
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब अभिव्यक्ति ,,,
ReplyDeleteRECENT POST: गुजारिश,
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अमर शहीद कैप्टन विक्रम 'शेरशाह' बत्रा को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletewaaaah waaaaah...bhut khub.
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति ...बेहतरीन
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन से यहाँ पहुंचना अच्छा लगा ...!!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने,
ReplyDeleteआप हमारे फोरम पर भी अपने लेख पोस्ट करने के लिए आमंत्रित है, आपका इंतज़ार रहेगा !
आशा करता हूँ कि जल्दी ही आपसे फोरम पर मुलाकात होगी ! :)
Ladies Mantra Forum
सुन्दर प्रस्तुति . बधाई आपको .
ReplyDeleteयादों की कैद से तो बाहर आना ही पढता है ... जीवन का असल रंग तब ही नज़र अत है ...
ReplyDeleteलाजवाब रचना है ...
अतीत के दर्द को भूलना मुश्किल होता है
ReplyDeleteपर जैसा भी हो वर्तमान को खुशनुमा बनाने की कोशिश होनी चाहिए
सुन्दर रचना
प्रभावशाली लेखन ..
ReplyDeleteबधाई भाई !
बहुत खुबसूरत रचना...... सच दूर के ढोल सुहाने लगते है लेकिन नजदीक जाने पर सच्चाई कुछ और ही होती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना पढने को मिली बहुत बहुत बधाई ,पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ फोलो भी कर रही हूँ यहाँ आकर अच्छा लगा ,मिलते रहेंगे
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