मुहब्बत में जान लेने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
औरों से खुलकर मिलना, मुझसे हिजाब में,
आशिक को तड़पाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
टपके रुखसार पे जो मोती पत्थर मोम हो जाए,
शेर को शायर बनाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
तुम आये चमन में बेरंग फूल सारे हो गए
फूलों से रंग चुराने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
बैठे रहे राह में नजरे बिछाए रात भर
नजरें चुराकर जाने की अदा तुम्हारी अच्छी है.
................. नीरज कुमार ‘नीर’
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteआपको हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteशायद तड़पाने में भी उनको उनको कुछ मीठा लगता हो. बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteWow !!
ReplyDeleteवाह !!! बहुत सुंदर गजल ,,,
ReplyDeleteRECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
बहोत सुन्दर गजल है.......खास तो दुसरा शे'र लाजवाब
ReplyDeletesundar sahaj
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार...!
kya baat hai bahut khoob :-)
ReplyDeleteबहुत कमाल के शेर हैं ... नतले से ही अंदाज़ का पता चल जाता है ...
ReplyDeleteदूसरा शेर भी बहुत लमाल का है ...
tumari har uda hi bemishal hain.....khubsurat gazal....
ReplyDeletebehtren-***
ReplyDeleteबहुत कमाल की गजले... बधाई..
ReplyDeleteआज ही आपका ब्लॉग देखा ,बहुत सुंदर रचनाएँ ...
ReplyDeletebahut sunder rachana .
ReplyDelete