Saturday, 5 January 2013

नया साल

नए साल में नया क्या है,
नई प्रतिज्ञा जो ली नही,
नया रंग जो जीवन में भरा नहीं.
सुरसा के मुँह सी बढती मंहगाई , जो कमी नही.
नए साल में नया क्या है?

शहर की मलिन बस्ती सा मलिन सूरज?
अपने बच्चों की रोटी के लिए
सहवास करती स्त्री के शरीर सी उदास  शाम.
कंक्रीट के जंगल में छत पर टंगा चाँद.
नए साल में नया क्या है?

अख़बारों में छपती ब्लू फिल्मो की हीरोइन की तस्वीर,
छपने के लिए तरसती कविताएँ,
पुनः पुनः होती बलात्कार की घटनायें,
नए साल में नया क्या है?

क्रिकेट खेलकर पडोसी से सम्बन्ध सुधारने की कोशिश,
सौ बार आजमाए उपाय को फिर से आजमाना, फिर मुँह की खाना,
देश के स्वाभिमान को गिरवीं रख कर की गयी “अमन की आशा’
नए साल में नया क्या है?
.. नीरज कुमार नीर


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