Friday, 11 January 2013

वतन बेच देंगें



अभी जिस तरह से सीमा पर हमारे सैनिकों की हत्या करके उनकी गर्दन दुश्मनों के द्वारा काट ली गयी और हम बेगैरतों की तरह कभी उनके साथ क्रिकेट खेल रहे है, कभी  ‘सुर क्षेत्र’ में तो कभी  ‘नच  बलिए’ में उनके गाने और नाच का आनंद ले रहे है, ऐसे में तो लगता है की देश के लिए सीमा पर लड़ने की कोई प्रेरणा किसी में बची नहीं रह जायेगी और सिर्फ बेवक़ूफ़ लोग अपनी जान गँवा रहे हैं और होशियार लोग ‘अमन की आशा’ लेकर शत्रु से दोस्ती गाठ रहे है और राष्ट्रीय स्तर के चैनल पर जब पाकिस्तान का प्रतिभागी ‘सुर क्षेत्र’ नामक कार्यक्रम में जीत हासिल करता है तो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगवा रहे है.  ऐसे ही  हालात में अपने शहीद सैनिको को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मैंने चंद पंक्तियां लिखी है, अगर मेरे भाव आपके दिल तक पहुचे तो इजहार जरूर कीजियेगा. याद रखिये चुप्पी आपका सबसे बड़ा शत्रु है.
<….वतन बेच देंगें….>
फूल बेच देंगे चमन बेच देंगे,
मुर्दों पे लिपटा कफ़न बेच देंगे.
माँ बेच देंगे, बहन बेच देंगे,
मुनाफाखोरों का देश है ये,
मुनाफा अगर मिले तो वतन बेच देंगें.
जब सीमा की रक्षा करता
सैनिक मारा जाता है,
दिल्ली के मुँह पर मार तमाचा 
दुश्मन, गर्दन काट ले जाता है.
तब, खूब तन्मय हो लगे रहे
मेहमानों के सम्मान में
क्योंकि खूब बरसता है,
धन, क्रिकेट के मैदान में.
जहाँ देश की भूमि बचाने
वीर, सीने पे गोली खाते हैं,
वहीँ, टी वी पर देखो
मोटा माल बनाने वाले
शत्रु को नचाते और गवाते है.
शहीदों के लाशों पर
अमन की आस करते है.
ये जयचंद की औलाद हैं,
लाशों पर व्यापार करते है.
अमन की आशा के पीछे
स्वार्थ बहुत बड़ा है .
लाभ कमाने का लोभ
वाकई बहुत बढ़ा है.
धन गंवाया , धर्म गंवाया
तुने भारत देश गंवाया
इतना कुछ खोकर भी लेकिन
प्यारे, तुमको होश ना आया.
धन की खातिर धर्म बेकार,
माल मिले तो वतन बेकार.
देश से इनका नहीं सरोकार,
सत्ता सुख में बेसुध सरकार.
जिनको स्वाभिमान बेचकर,
तुम मोटा माल कमाते हो ,
उन्ही के हाथों देखोगे एक दिन ,
माल और इज्जत दोनो कैसे गंवाते हो.
कहते हैं इतिहास स्वयं को
बार बार दोहराता है.
इतिहास से हमे सीख मिले,
इसलिये इतिहास पढाया जाता है.
लेकिन नहीं हैं ये इतिहास से
कुछ भी सीखने को तैयार.
देश के ऊपर आ जाता इनका
निज स्वार्थ और व्यापार.
कोई सत्ता के फेर में,
कोई दौलत के फेर में
अपनी जेबें भरी रहे,
चाहे देश जाये, कूड़े के ढेर में..
गर्दन काटने वालों की
गर्दन काट कर लाओ.
दिल्ली के राजपथ पर
खंभे पर इन्हें सजाओ.
यही हमारे वीर शहीदों का
असली सम्मान होगा
माँ भारती के चरणों में
साहसी प्रणाम होगा.
..जय हिंद ..
............नीरज कुमार ’नीर’


1 comment:

  1. खुबसुरत अभिव्यक्ति
    बेहतरीन गजल
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...