राजा ने कहा :
जनता को विकास चाहिए
आओ खेलें
विकास-विकास
पर सरकार ! कुछ दिनों के बाद
जनता मांगेगी
विकास का प्रमाण ...
तो फिर खेलेंगे
धर्म–धर्म / मजहब-मजहब
जनता मजहब की भूखी है
पर सरकार! कुछ दिनों के बाद
जनता मांगेगी
मंदिर/मस्जिद.........
तो फिर खेलेंगे
देश-देश
जनता देश-भक्ति की भूखी है
पर सरकार ! कुछ दिनों के बाद
जनता मांगेगी
सीमा पर मरने वाले सैनिकों का हिसाब....
तो फिर खेलेंगे
जाति-जाति
जनता जाति की भूखी है
पर सरकार ! जाति से पेट नहीं भरता
जनता को विकास चाहिए
तो फिर से खेलेंगे
विकास–विकास ......
#नीरज कुमार नीर / 20,12,2015
#Neeraj_kumar_neer
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चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
जबरदस्त कटाक्ष किया है नीरज जी।
ReplyDeleteभूखों के सामने अक्सर रोटी की बात करते है,
एक एक वोट कितनी मेहनत के बाद मिलता है.....http://manishpratapmpsy.blogspot.com
मस्त है व्यंग और व्यंग की धार ... गहरा कटाक्ष ...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-04-2016) को "कंगाल होता जनतंत्र" (चर्चा अंक-2302) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " सिरियस केस - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteस्वयं के विकास में अपना विकास समझ लेते हैं ...
ReplyDeleteबहुत सही ..
नीरज जी आपने अपनी कविताओं को सुन्दर शब्दों में पिरोया है। आपकी कविताओं में कहीं प्या,र तो कहीं ममता, तो कहीं तड़प कहीं उलझन और इसके साथ ही राजनीति पर भी कड़े कटाक्ष बखूबी किये है। जो वास्तव में ही प्रशंसनीय है।
ReplyDeleteआपके बेहतरीन लेखन के लिए आपको बधाई। साथ ही आपको सूचित करना चाहेंगे कि आपके ब्लाॅग को हमने Best Hindi Blogs पर लिस्टेड किया है। आप अपना प्रमाण पत्र यहां से प्राप्त करें।
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अच्छा व्यंग्य
ReplyDeleteसटीक रचना ।
ReplyDeleteकडवा सच है। बहुत अच्छा लिखा है
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