चूनर धानी ओढ़कर, आया फाल्गुन मास
बीता शीत शरद शिशिर, मौसम में मधुमास ॥
पी ली जल की गागरी, मिटी न तन की प्यास
इहै फाल्गुन आओगे, लगी हुई है आस॥
मन है मेरा बावरा, देह सूखती जाय
फाल्गुन में विदेश पिया, मुँह से निकले हाय
दिवस लघु से दीर्घ हुए, क्षुद्र हो गयी रात
मैं बिरहन बिरहन रही, बिरह न माने मात ॥
फूल फूले और झरे, गिरे धरा पर पात
तुझ तक तो पहुँची नहीं, प्रीतम दिल की बात॥
आओगे जब साजना, लेकर आना रंग
बाँहों में भरकर मुझे, पिया लगाना अंग॥
मन में अगर उमंग हो , सब कुछ लगता खास
फाल्गुन आता मिट जाता दुखों का एहसास
........... #नीरज कुमार नीर
#Neeraj_kumar_neer
#होली #holi #dohe #falgun #prem #love
फागुन तो वैसे ही मस्ती और फुहार का महीना है ... हर दोहा सटीक और मस्ती लिए है ... इठलाता हुआ ...
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-02-2015) को "महकें सदा चाहत के फूल" (चर्चा अंक-1898) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह...लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeletefaguni sundar dohe ..
ReplyDeleteविरह के गीत। बहुत ही सुंदर रचना और उतनी ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीय नीरज जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
बहुत सुन्दर, रंग रंगीली, होली में डूबी रचना, बधाई.
ReplyDeleteकली कुँआरी के मन भाया, आया ऐसे झूम के फाग ।
ReplyDeleteधीरे धीरे यौवन के सब, सुरंगी रंग रहे हैं जाग ॥
वाह वाह अत्यंत सुन्दर दोहे एक एक दोहा प्रेम विरह रस में पगा हुआ .. बहुत ही मीठी प्रस्तुति बधाई आपको !
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक दोहा नीर साब ! फागुन के अवसर पर इससे बेहतर प्रस्तुति नही हो सकती
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें,सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteहार्दिक शुभेच्छा
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