तरुणी की तरुणाई का .
मैं भी गीत सुना सकता हूँ ,
यौवन की अंगडाई का .
लेकिन गीत सुनाने आया ,
भारत माँ के क्रंदन का,
लेकिन गीत सुनाने आया,
अबलाओं के रुदन का .
चोर सिपाही बन बैठे
शासन अट्ठाहस करे
लाशो पर भी पैसे लेते
क्या बेचारी लाश करे
भारत माता नंगी होती
पेंटिंग के बाज़ार में
उनको ही संरक्षण मिलता
सेकुलर सरकार में .
मुंबई के हमलावर,
विशिष्ट सुरक्षा पाते हैं .
बैठ छाती पर हमारे,
खीर मलाई खाते हैं .
नए भारत का नया शासक,
अंग्रेजो का बाप हुआ .
गेरुआ पहनना अब भारत में ,
सबसे बड़ा पाप हुआ .
वही सुरक्षा लेकर चलता,
सबसे बड़ा जो अपराधी है .
वही शासन की कुर्सी पर बैठा ,
दंड का जो भागी है .
पहले जो नहीं हुआ,
आज वही सब होता है ,
देख भारत की दुर्दशा ,
‘नीरज’ का दिल रोता है.
कब तक जुल्म सहेगी माता,
बच्चों तुम्हे पुकार रही,
बड़ी आस लगी है तुमसे,
माता तुम्हे निहार रही .
चंद्रशेखर , राजगुरु के
बलिदानों को याद करो ,
अब लड़ने की बारी आई,
अब ना तुम फ़रियाद करो .
छोड़ अहिंसा शस्त्र उठाना,
अब तो मजबूरी हैं,
असुरों का संहार करना,
अब तो बहुत जरूरी है.
अगर क्षत्रिय हो तो ,
सत्य के लिए,
लड़ना स्वीकार करो .
या भीष्म की भांति ,
शिखंडी के हाथों ,
मृत्यु अंगीकार करो .
जागो –जागो मातृ शक्ति,
तुम्हे जगाने आया हूँ ,
महिषासुर संहार की,
याद दिलाने आया हूँ.
भ्रष्ट, भ्रष्टतर और भ्रष्टतम ,
शासन का व्यवहार हुआ ,
भ्रष्टाचार ही इस व्यवस्था में ,
सबसे बड़ा शिष्टाचार हुआ .
कब तक यूँ ही जुल्म सहोगे ,
जुल्म मिटने के लिए ,
जुल्म का प्रतिकार जरूरी है .
भ्रष्टाचार के खिलाफ ,
लोकपाल का हथियार जरूरी है .
घर से बाहर तक देखो,
हर तरफ यह चर्चा है,
जिसे देखो बाँट रहा ,
लोकपाल का परचा है .
नीरज कुमार'नीर'
बहुत सुन्दर प्रयास, नीरज जी---
ReplyDeleteधन्यवाद राजू जी ! अपने पास कर दिया तो पास .
Deletebahut badhiya neeraj ji aapki kaavyalaya ki post se bahut alag taste ki rachna lagi very nice :-)
ReplyDeleteapka bahut abhar Parul JI..
Deleteबहुत सुन्दर प्रयास, नीरज जी--
ReplyDeletebahut accha
ReplyDeleteअगर क्षत्रिय हो तो ,
ReplyDeleteसत्य के लिए,
लड़ना स्वीकार करो .
या भीष्म की भांति ,
शिखंडी के हाथों ,
मृत्यु अंगीकार करो .
वाह ! वीर रास से ओतप्रोत सुन्दर शब्द ! एक बारी लगा कि मैं हरिओम पंवार साब को पढ़ रहा हूँ !