मन सरिता में उठी तरंगे
देखा बैठ किनारे
ले गए चैन करार
प्रिय नीरज नैन तुम्हारे।
अहसासों के अंबर में
खग बनकर तुम उड़ती हो
प्रेम सरोवर के तल पर
मीन मचलती फिरती हो
तुम पूनम की चाँद सखी री
नभ में कई सितारे ।
तुम पाटल की पांखुरी
इस जीवन में भरो सुवास
कभी तो मिलने आ जाओ
बंधी हुई है आस
मन का मेरा पपीहरा
पल पल तुम्हें पुकारे।
स्वर्ण कलश की अमृत तुम
बूंद एक तो छलकाओ
अमर प्रेम हो जाएगा
अधरों से अगर पिलाओ
तृषा लिए पनघट पर है
प्यासा पथिक खड़ा रे ।
प्रेम रस सदा एक सा
चाहे आदि, मध्य या अंत
प्रेम साचा गंगा का पानी
बहता रहे अनंत
प्रेम पथ का कुशल बटोही
लक्ष्य को कहाँ निहारे।
ले गए चैन करार
प्रिय नीरज नैन तुम्हारे।
मन सरिता में उठी तरंगे
देखा बैठ किनारे
ले गए चैन करार
प्रिय नीरज नैन तुम्हारे।
............. नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer

अनुराग की कोमल भावनाओं से सिक्त सुन्दर रचना !
ReplyDeleteसुंदर आती सुंदर !!
ReplyDeletebahut sunder rachna
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