जब जब करो श्रृंगार प्रिये
मैं एक दर्पण बन जाऊं ।
मैं बनूँ प्रतिबिंब तुम्हारा
ओढ़ कर माधुर्य सारा
लालिमा तेरे अधरों की
नैन का अंजन बन जाऊं..
जब जब करो श्रृंगार .......
वेणी में बन सजूं बहार
बन जाऊं सोलह श्रृंगार
अनुपम रूप तुम्हारा प्राण
हार इक चन्दन बन जाऊं।
जब जब करो श्रृंगार.........
तुम्हारे पायल की रुनझुन
मोहिनी गीतों की गुनगुन
बनकर दमकूं मैं कुमकुम
कुंडल कुन्दन बन जाऊं.
जब जब करो श्रृंगार........
टहक लाली सूर्ख महावर
टूट सके ना जीवन भर
मांग मध्य अमर सिंदूर
अमिट इक बंधन बन जाऊं .
जब जब करो श्रृंगार..........
तुम्हारे गजरे में महकूँ
हंसी में तुम्हारी चहकूँ
तुम्हारे अंतस बसूं सदा
दिल की धड़कन बन जाऊं
जब जब करो श्रृंगार प्रिये
मैं एक दर्पण बन जाऊं
..................
नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
जब जब करो श्रृंगार प्रिये
मैं एक दर्पण बन जाऊं ।
मैं बनूँ प्रतिबिंब तुम्हारा
ओढ़ कर माधुर्य सारा
लालिमा तेरे अधरों की
नैन का अंजन बन जाऊं..
जब जब करो श्रृंगार .......
वेणी में बन सजूं बहार
बन जाऊं सोलह श्रृंगार
अनुपम रूप तुम्हारा प्राण
हार इक चन्दन बन जाऊं।
जब जब करो श्रृंगार.........
तुम्हारे पायल की रुनझुन
मोहिनी गीतों की गुनगुन
बनकर दमकूं मैं कुमकुम
कुंडल कुन्दन बन जाऊं.
जब जब करो श्रृंगार........
टहक लाली सूर्ख महावर
टूट सके ना जीवन भर
मांग मध्य अमर सिंदूर
अमिट इक बंधन बन जाऊं .
जब जब करो श्रृंगार..........
तुम्हारे गजरे में महकूँ
हंसी में तुम्हारी चहकूँ
तुम्हारे अंतस बसूं सदा
दिल की धड़कन बन जाऊं
जब जब करो श्रृंगार प्रिये
मैं एक दर्पण बन जाऊं
..................
मैं एक दर्पण बन जाऊं ।
मैं बनूँ प्रतिबिंब तुम्हारा
ओढ़ कर माधुर्य सारा
लालिमा तेरे अधरों की
नैन का अंजन बन जाऊं..
जब जब करो श्रृंगार .......
वेणी में बन सजूं बहार
बन जाऊं सोलह श्रृंगार
अनुपम रूप तुम्हारा प्राण
हार इक चन्दन बन जाऊं।
जब जब करो श्रृंगार.........
तुम्हारे पायल की रुनझुन
मोहिनी गीतों की गुनगुन
बनकर दमकूं मैं कुमकुम
कुंडल कुन्दन बन जाऊं.
जब जब करो श्रृंगार........
टहक लाली सूर्ख महावर
टूट सके ना जीवन भर
मांग मध्य अमर सिंदूर
अमिट इक बंधन बन जाऊं .
जब जब करो श्रृंगार..........
तुम्हारे गजरे में महकूँ
हंसी में तुम्हारी चहकूँ
तुम्हारे अंतस बसूं सदा
दिल की धड़कन बन जाऊं
जब जब करो श्रृंगार प्रिये
मैं एक दर्पण बन जाऊं
..................
नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
सरल शब्दोंमें अच्छी रचना !
ReplyDeleteअच्छी रचना ....
ReplyDeleteमनभावन.
अनु
बहुत सुन्दर भाव ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
ati sundar
ReplyDeleteश्रृंगार रस से युक्त लेखनी ....वाह बहुत खूब
ReplyDeletebahut sundar.......
ReplyDeleteप्रेम मय ... भाव भरी रचना ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ...
अति सुन्दर काव्य कृति..
ReplyDeleteकिसी कारणवश इतनी सुन्दर काव्य कृति पढाने से वंचित रह गया था पहले. सुन्दर सृजन.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सरस रचना .....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रुनझुन सी आवाज करती ये रचना ..श्रृंगार रस में डूबी हुई ..प्रेम से लबालब भरी हुई ..बहुत सुन्दर :-)
ReplyDeleteअर्थ सबसे बाद में दिया करें तो अरुचिकर नहीं लगेगा ! इस कारण कविता पर ध्यान ही नहीं जाता !!
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteजब करो श्रृंगार प्रिय…। सुन्दर रचना! साभार! आदरणीय नीरज जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
बहुत ही सुन्दर ................
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर! वाह!
ReplyDeleteबहुत खूब श्रीमान
ReplyDeleteसुन श्रृंगार रस की ऐसी अभिव्यक्ति ,
ReplyDeleteमन अन्तर्मन से भवभोर उठा,
चंचलता शब्दो की ऐसी,
ह्र्दय के तारों को प्यार का आभाष मिला ।।
सुरेश मुस्कान शर्मा'सुमेश,उदयपुर (राजस्थान)
सुन श्रृंगार रस की ऐसी अभिव्यक्ति ,
ReplyDeleteमन अन्तर्मन से भवभोर उठा,
चंचलता शब्दो की ऐसी,
ह्र्दय के तारों को प्यार का आभाष मिला ।।
सुरेश मुस्कान शर्मा'सुमेश,उदयपुर (राजस्थान)
वाह शृंगार रस की अद्भुत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभई अभिसारिका जैसी
सुन पढ़ कर हृदय मुदित हो गया
रचना थी कुछ ऐसी !
बहुत सूंदर
ReplyDeleteजवाब नहीं आपका
ReplyDeleteमानस पटल को हठात विचलित कर रहीं पँक्तियाँ जो बरबस अंतरतम के तंतुओं को झंकृत करने लगते हैं ।
ReplyDeleteवाह
उत्तमोत्तम ।
I feel very comfortable to read this poem because it have many sensitive feelings for simple man
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteHello ! pl connect with me on dynamiclibran@gmail.com
ReplyDeletei am a film maker from mumbai.
thanks !
प्रेम से होती तरंगित भावनाएं
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