Sunday, 12 May 2013

माँ वही गीत सुना दो



आज मेरे जी में आया
नन्हा बच्चा मै बन जाऊं.
तेरे आंचल में छुपकर माँ
फिर से मैं सो जाऊं.

तुम सुनाओ लोरी
धीमे धीमे देकर थपकी
आँखे बंद करूँ, मै ले लूँ
मीठी सी एक झपकी.

मैं करूँ शैतानी, माँ ,
मुझको, फिर तुम डांटो.
कान पकड़ कर फिर से झिडको,
फिर से वही सजा दो.

वही काठ की घोड़ी,
वही चंदा मामा,
हांथो में ले दूध कटोरी
गीत वही सुना दो.

..........नीरज कुमार ‘नीर’
#नीरज_कुमार_नीर
#neeraj_kumar_neer 

17 comments:

  1. बहुत शुक्रिया..

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  2. कविता पढ़ यूँ लगा जैसे वापस बचपन के दिनों में लौट गया हूँ. बहुत सुन्दर.

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  3. बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .

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  4. मीठी सी चाह ... भावुक कर गई ये रचना ...

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  5. BHOLI SI CHAHAT.....SUNDAR ABHIVYAKTI...

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  6. बहुत ही मीठी और प्यारी कविता..बहुत अच्छी लगी..

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  7. वाह नीरज भाई वाह माँ से साथ गुजरा हुआ बालपन पुनः याद आ गया, एक नन्हे से बच्चे के भीतर पनप रही जिज्ञासा का अप्रितम वर्णन. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  8. सुंदर प्रस्तुति...

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  9. शुभम नीरज जी
    माँ के जरिए बचपन याद करा दिया
    सुंदर वर्णन
    मेरे अंगना भी पधारकर अपना स्नेह दें
    http://guzarish6688.blogspot.in/
    शक्रिया

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  10. फिर से गीत वही दुहरा दो
    माँ फिर से वह गीत सुना दो !

    बधाई एवं शुभकामनायें !

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  11. अति सुन्दर

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  12. माँ वही गीत सुना दो.... सुन्दर अभिव्यक्ति! आदरणीय नीरज जी!
    धरती की गोद

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  14. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  15. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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