आज मेरे
जी में आया
नन्हा
बच्चा मै बन जाऊं.
तेरे
आंचल में छुपकर माँ
फिर से
मैं सो जाऊं.
तुम
सुनाओ लोरी
धीमे
धीमे देकर थपकी
आँखे बंद
करूँ, मै ले लूँ
मीठी सी
एक झपकी.
मैं करूँ
शैतानी, माँ ,
मुझको, फिर तुम
डांटो.
कान पकड़
कर फिर से झिडको,
फिर से
वही सजा दो.
वही काठ
की घोड़ी,
वही चंदा
मामा,
हांथो
में ले दूध कटोरी
गीत वही
सुना दो.
..........नीरज
कुमार ‘नीर’
#नीरज_कुमार_नीर
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
waaaaaaaaaaah
ReplyDeletebhot khub
बहुत शुक्रिया..
ReplyDeleteकविता पढ़ यूँ लगा जैसे वापस बचपन के दिनों में लौट गया हूँ. बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteमीठी सी चाह ... भावुक कर गई ये रचना ...
ReplyDeleteBHOLI SI CHAHAT.....SUNDAR ABHIVYAKTI...
ReplyDeleteSUNDER,BHAVPURN RACHANA
ReplyDeleteबहुत ही मीठी और प्यारी कविता..बहुत अच्छी लगी..
ReplyDeleteवाह नीरज भाई वाह माँ से साथ गुजरा हुआ बालपन पुनः याद आ गया, एक नन्हे से बच्चे के भीतर पनप रही जिज्ञासा का अप्रितम वर्णन. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteशुभम नीरज जी
ReplyDeleteमाँ के जरिए बचपन याद करा दिया
सुंदर वर्णन
मेरे अंगना भी पधारकर अपना स्नेह दें
http://guzarish6688.blogspot.in/
शक्रिया
फिर से गीत वही दुहरा दो
ReplyDeleteमाँ फिर से वह गीत सुना दो !
बधाई एवं शुभकामनायें !
अति सुन्दर
ReplyDeleteमाँ वही गीत सुना दो.... सुन्दर अभिव्यक्ति! आदरणीय नीरज जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
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