दीवारें ढहा दी जाती हैं
अतिक्रमण के नाम पर
जब किसी के घर की,
बुल्डोजर के राक्षसी पंजों तले..
मासूमो के प्लास्टिक के खिलौने
जब कुचल दिए जाते हैं .
जब बुल्डोजर के शैतानी पहियों तले
एलुमिनियम के बर्तन
टूट कर पिचक जाते है.
जब हुकूमत के डंडे पड़ते है
ग़ुरबत की पीठ पर.
बुल्डोजर के दातों का रंग
देखो लाल हो जाता है
इनमे लगा है खून
गरीबों के दिल का.
खून के आंसू जब
रोतीं है बूढ़ी माँ.
भूख से बिलबिलाते
नन्हे मासूम जब
पेट पकड़ कर सोते हैं.
तब तान दी जाती हैं
छतरियां प्लास्टिक की.
अतिक्रमण के नाम पर
जब किसी के घर की,
बुल्डोजर के राक्षसी पंजों तले..
मासूमो के प्लास्टिक के खिलौने
जब कुचल दिए जाते हैं .
जब बुल्डोजर के शैतानी पहियों तले
एलुमिनियम के बर्तन
टूट कर पिचक जाते है.
जब हुकूमत के डंडे पड़ते है
ग़ुरबत की पीठ पर.
बुल्डोजर के दातों का रंग
देखो लाल हो जाता है
इनमे लगा है खून
गरीबों के दिल का.
खून के आंसू जब
रोतीं है बूढ़ी माँ.
भूख से बिलबिलाते
नन्हे मासूम जब
पेट पकड़ कर सोते हैं.
तब तान दी जाती हैं
छतरियां प्लास्टिक की.
.......... neeraj kumar neer
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.