Saturday 30 June 2012

उम्मीद

वो चले गए आने का वादा करके,
वक्त मेरा कटता नहीं इंतज़ार में.
उन्हें मेरी याद भी नहीं आयी शायद,
हम हर दम डूबे रहे, उनके  ख्याल में.
फूलों की उम्मीद में काँटों से खेलते रहे,
कि शायद फूल खिलें, अबके बहार में. 

                  “नीरज”

Sunday 10 June 2012

चाँद

आज दो चाँद निकल आया है,
एक आसमां में एक धरती पर उतर आया है.
बाद मुद्दत के मौका ए वस्ल आया है
आज दो चाँद निकल आया है.
वो बंधी हुई चोटि, वो आँखों का काजल
किसी शायर ने खूबसूरत गजल गाया है ,
हुई  मस्जिद में अजान, बजी मंदिर की घंटी
उसने  जो धीमे  से गुनगुनाया है.
ना दौलत ना शोहरत ना कुछ पाने कि चाहत
मेरा इश्क ही मेरा सरमाया है.
मेरे दिल में खुदा के लिए जगह नहीं है
अपने दिल में मैंने सनम को बसाया है.
आज दो चाँद निकल आया है,
एक आसमां में एक धरती पर उतर आया है.
.................नीरज कुमार 'नीर'

Friday 8 June 2012

"वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम"


वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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रास रचावन गोपियाँ आईं           
मोर मुकुट ले राधिका आईं
तुझको ना पाकर बड़ी शरमाई.
मोको ना भाई तेरी रीत श्याम 
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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काहे को तुमने वंशी बजाई
काहे को तुमसे प्रीत लगाई.
गोपाला तेरी सखियाँ प्यारीं 
लेकर पुकारे कान्हा तेरा नाम 
तेरे दरश बिन बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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अब तो आकर दरश दिखाओ
बहुत हुआ अब ना तड़पाओ 
तेरे प्रीत में बनी वाबरिया,
अब तो आ जाओ सांवरिया
याद नहीं अब कोई नाम 
तेर दरश बिन  बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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नीरज 
8797777598


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