सूरज कम्बल डाल के निकला ....
कपडे गर्म पहन कर टॉमी,
हीटर की गरमी में सोया.
भूख की चादर ओढ़ गरीबन,
ठिठुरा सारी रात न सोया..
सूखे छाती से चिपका नन्हे
थक गया पर दूध ना निकला..
पेट सटाकर घुटनों से
गठरी बनकर पड़ा रहा
पात हीन वृक्ष सरीखा
हिले डुले बिन अड़ा रहा .
बाहर से कड़े बर्फ सा
भीतर में पानी सा पिघला
सर्द हवा में गीला चाँद,
मुंह चिढाता टेढ़ा चाँद,
माचिस की तिल्ली, बीड़ी का
धुंआ,
भूखी आँखों से धुंधला
चाँद,
आँखें हुई सफ़ेद,
छुप गया फिर चाँद न निकला
...
#neeraj_kumar_neer
.. नीरज कुमार नीर
(बात अगर दिल तक पहुचे तो टिप्पणी के माध्यम से समर्थन अवश्य दें )
(बात अगर दिल तक पहुचे तो टिप्पणी के माध्यम से समर्थन अवश्य दें )
#neeraj_kumar_neer
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteBhut sundar!!
ReplyDeleteVinnie
अति सुन्दर !
ReplyDeleteनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
wah bahut sundar.........sarthak prastuti
ReplyDeleteवाह / शानदार
ReplyDeleteShandaar...
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर.. ठंड और ठण्ड से ठूठरते लोगों का .... गरीबी का सुंदर चित्रण ...!!
शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteगहरे उतरती रचना
ReplyDeleteसुंदर चित्रण. कितना दुखद सत्य है.
ReplyDeleteगरीबी का सुंदर चित्रण,सादर आभार
ReplyDeleteExtremely well written and well presented .. kudos to u
ReplyDeleteplz visit :
http://swapnilsaundaryaezine.blogspot.in/2014/01/vol-01-issue-04-jan-feb-2014.html
कविता में जिस तरह से तुलनात्मक विवरण दिया गया है उसे बस दिल से महसूस किया जा सकता है.. कोई भी टिप्पणी उसे व्यक्त करने में असमर्थ होगी!! बहुत ख़ूब!!
ReplyDeleteठंढ से ठिठुरते लोगों का सही चित्रण.
ReplyDeleteनई पोस्ट : सांझी : मिथकीय परंपरा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (11-1-2014) "ठीक नहीं" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1489" पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
शुक्रिया राजीव जी
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (3 से 9 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
शुक्रिया ब्लॉग चिठ्ठा .
Deleteठिठुरते लोगों गरीबी का सुंदर चित्रण....सुन्दर प्रस्तुति...!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी
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