Friday, 8 June 2012

"वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम"


वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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रास रचावन गोपियाँ आईं           
मोर मुकुट ले राधिका आईं
तुझको ना पाकर बड़ी शरमाई.
मोको ना भाई तेरी रीत श्याम 
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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काहे को तुमने वंशी बजाई
काहे को तुमसे प्रीत लगाई.
गोपाला तेरी सखियाँ प्यारीं 
लेकर पुकारे कान्हा तेरा नाम 
तेरे दरश बिन बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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अब तो आकर दरश दिखाओ
बहुत हुआ अब ना तड़पाओ 
तेरे प्रीत में बनी वाबरिया,
अब तो आ जाओ सांवरिया
याद नहीं अब कोई नाम 
तेर दरश बिन  बिन नहीं विश्राम.
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वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
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नीरज 
8797777598


2 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना नीरज जी बधाई हो

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  2. राजू जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद .

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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