वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
----
रास रचावन गोपियाँ आईं
मोर मुकुट ले राधिका आईं
तुझको ना पाकर बड़ी शरमाई.
मोको ना भाई तेरी रीत श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम.
---
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
---
काहे को तुमने वंशी बजाई
काहे को तुमसे प्रीत लगाई.
गोपाला तेरी सखियाँ प्यारीं
लेकर पुकारे कान्हा तेरा नाम
तेरे दरश बिन बिन नहीं विश्राम.
----
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
---
अब तो आकर दरश दिखाओ
बहुत हुआ अब ना तड़पाओ
तेरे प्रीत में बनी वाबरिया,
अब तो आ जाओ सांवरिया
याद नहीं अब कोई नाम
तेर दरश बिन बिन नहीं विश्राम.
---
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
वंशी बजा के कहाँ छुप गयो श्याम
तेरे दरश बिन नहीं विश्राम .
------------------------------------------------------------
नीरज
8797777598
बहुत सुन्दर रचना नीरज जी बधाई हो
ReplyDeleteराजू जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
ReplyDelete