तू कवि की कल्पना,
तू गीतों
की रागिनी,
मेरी कविता
की भाव तुम्ही हो ,
तू मधुर रस भासिनी.
मैं ठहरा जल हूँ,
तू कल – कल करती तरंगिणी.
मैं कर्कश गर्जन प्रिय ,
तू माधुर्य वादिनी .
मैं जो गाऊं गीत तुम्ही हो,
मेरे काव्य की रीति तुम्ही हो ,
मेरे कविता का ध्येय तुम्ही,
तू प्रिय मन भावनी.
मैं पत्थर बेकार,
तू अमूल्य पारस मणि,
मैं दुपहरी जेठ की,
तू शीतल यामिनी .
bahut achchhe neeraj ji...ye kaavyalay par post ki thee kya?
ReplyDeleteThanks Pradeep ji, aapko pasand ayee apka abhar. Haan kavyalaya me post ki thi.
ReplyDeleteThanks Pradeep ji, aapko pasand ayee apka abhar. Haan kavyalaya me post ki thi.
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