Wednesday, 4 July 2012

कवि की कल्पना




तू कवि की  कल्पना,

तू गीतों  की  रागिनी, 
मेरी कविता  की  भाव तुम्ही हो ,
तू मधुर रस भासिनी. 

मैं ठहरा जल हूँ,
तू कल – कल करती तरंगिणी.
मैं कर्कश गर्जन प्रिय ,
तू माधुर्य वादिनी .

मैं जो गाऊं गीत तुम्ही हो,
मेरे काव्य की रीति तुम्ही हो ,
मेरे कविता का ध्येय तुम्ही,
तू  प्रिय मन भावनी.

मैं पत्थर बेकार,
तू  अमूल्य पारस मणि,
मैं दुपहरी जेठ की,

तू शीतल यामिनी .

3 comments:

  1. bahut achchhe neeraj ji...ye kaavyalay par post ki thee kya?

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  2. Thanks Pradeep ji, aapko pasand ayee apka abhar. Haan kavyalaya me post ki thi.

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  3. Thanks Pradeep ji, aapko pasand ayee apka abhar. Haan kavyalaya me post ki thi.

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