दोस्तों प्यार से प्यारा कोई एहसास नहीं होता और जब प्यार में दोस्ती भी हो तो क्या कहने फिर हर चीज आसान हो जाती है प्रेमी प्रेमिका एक दुसरे से जो चाहे कहते हैं जो चाहे पूछते हैं. ऐसी ही एक प्रेमिका अपने प्रेमी से कुछ खट्टे सवाल पूछती है और कहती है की जैसे जिस सुर में मै सवाल पूछु उसी सुर में मुझे जवाब चाहिए नहीं तो मै रूठ जाउंगी अब वो क्या पूछती है और क्या जवाब मिलते हैं वो आप खुद ही पढ़ लीजिये
क्यों
चाँद मुझे भाता है,
क्यों वो रोज नहीं आता है ??
ये गजब की बात है चाँद को चाँद ही भाता है,
जब चाँद छुप के तुम्हे देखता है, तब नज़र नहीं आता है
ये गजब की बात है चाँद को चाँद ही भाता है,
जब चाँद छुप के तुम्हे देखता है, तब नज़र नहीं आता है
क्यों सागर नीला होता है
क्यों बादल इतना रोता है?
नीली आँखों से निकला सो सागर नीला होता है.
जब प्यार पे लगता है पहरा, तो बादल इतना रोता है.
क्यों बादल इतना रोता है?
नीली आँखों से निकला सो सागर नीला होता है.
जब प्यार पे लगता है पहरा, तो बादल इतना रोता है.
क्यों
सपने मुझे लुभाते हैं
क्यों फूल इतना शर्माते हैं??
बिछुडे प्रेमी सपने में मिलते है, सो सपने बहुत लुभाते हैं
देखके फूलों सा कोमल चेहरा , फूल भी शरमाते हैं.
क्यों फूल इतना शर्माते हैं??
बिछुडे प्रेमी सपने में मिलते है, सो सपने बहुत लुभाते हैं
देखके फूलों सा कोमल चेहरा , फूल भी शरमाते हैं.
क्यों
झरना इतना चंचल है
क्यों कल कल कल कल बहता है??
झरना तेरा दीवाना है सो वो भी चंचल होता है.
देख के तुझको झरना भी कल कल आहें भरता है.
झरना तेरा दीवाना है सो वो भी चंचल होता है.
देख के तुझको झरना भी कल कल आहें भरता है.
क्यों
सूरज अकड दिखता है
क्यों तारो को दूर भगाता है ??
दिलजला प्रेमी है सूरज सो अकड़ा अकड़ा रहता है
धरती से मिलने आता है सो तारो को दूर भगाता है
क्यों तारो को दूर भगाता है ??
दिलजला प्रेमी है सूरज सो अकड़ा अकड़ा रहता है
धरती से मिलने आता है सो तारो को दूर भगाता है
सबकुछ
मन को भाता है
अनायास क्या हो जाता है
क्यूँ मन उदास हो जाता है
क्यूँ आँखे झर झर बहती है ??
जब याद किसी की आती है
ऐसा अक्सर हो जाता है
हँसते हँसते आँखों से यादो का झरना बहता है
जब दिल किसी का रोता है तब आंखें झर झर बहती हैं...
अनायास क्या हो जाता है
क्यूँ मन उदास हो जाता है
क्यूँ आँखे झर झर बहती है ??
जब याद किसी की आती है
ऐसा अक्सर हो जाता है
हँसते हँसते आँखों से यादो का झरना बहता है
जब दिल किसी का रोता है तब आंखें झर झर बहती हैं...
---------------------------------पारुल'पंखुरी'
-----------नीरज कुमार
-----------नीरज कुमार
ये रचना मेरी और मेरी कवयित्री मित्र पारुल'पंखुरी' की कुछ अनोखा करने की लगन में की गई एक छोटी सी कोशिश है ..आशा है आप सबको यह पसंद आएगी .. अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे।।। मेरी मित्र का भी एक ब्लॉग है उस पर भी एक बार अवश्य पधारें ..लिंक यहाँ दे रहा हूँ
...
बहुत प्यारी जुगलबंदी है नीरज जी...
ReplyDeleteबधाई!!
अनु
शुक्रिया अनु जी.
Deleteबहुत अच्छा प्रयास है ... प्रश्न ओर फिर उनके मायने खोजना ... वो भी अलग अलग मन द्वारा ...
ReplyDeleteअच्छी बन पड़ी है ये रचना ...
बहुत बहुत शुक्रिया दिगंबर जी.
Deleteबहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteअभी-अभी आपका ब्लॉग -परिवार में मेरा आगमन हुआ और खूबसूरत जुगलबंदी पढने को मिली ....वाह :D
ReplyDeleteबहुत बहुत स्वागत आपका और ढेर सारा धन्यवाद.
DeleteMitron ke nok jhok me puri prakriti hi shamil ho gayi. Kya baat!
ReplyDeleteशुक्रिया. मित्रता तो प्रकृति का अनुपम उपहार है.
Deleteshukriya neeraj mujhe credit dene ke liye aur itni sundar jugalbandi ke liye :-)
ReplyDeleteशुक्रिया पारुल तुम्हारा. ये सब तुम्हारी वजह से ही है.
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