Monday, 7 April 2014

कहमुकरियां


लगे अंग तो तन महकाए 
जी  भर देखूं  जी में आये 
कभी कभी पर  चुभाये शूल 
का सखी साजन ? ना सखी फूल
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गोदी में सर रख कर सोऊँ 
मीठे मीठे ख्वाब में खोऊँ
अंक में लूँ, लगाऊं छतिया.
का सखी साजन? ना सखी तकिया .
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उससे डर, हर कोई भागे,
वो मेरे पीछे,  मैं आगे 
कहे देकर फिर करो रिलैक्स..  
का सखी साजन? ना सखी टैक्स
***************
गाँठ खुले तो इत उत डोले 
जिधर हवा हो उधर ही होले 
कोई नियत ना कोई ठांव 
का सखी साजन ? ना सखी नाँव.
*************
गोद बिठा कर जगत  घुमाये  
तरह तरह के दृश्य दिखाए  
बिना शक्ति  के रहे बेकार 
का सखी साजन ? ना सखी कार.
**************
......  #नीरज कुमार नीर 
#NEERAJ_KUMAR_NEER
#kahmukariyan #कहमुकरियाँ 
चित्र गूगल  से साभार 

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना मंगलवार 08 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. सादर धन्यवाद .

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  3. वाह जी वाह ... बहुत ही मस्त हैं मुकरियाँ ...

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  4. बहुत ही रोचक एवं खुशनुमां मुकरियाँ ! शुभकामनायें !

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  5. waah bhai waah .....dil khush ho gaya ....

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  6. बहोत सुन्दर.....मज़ा आ गया

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  7. बहुत सुन्दर और मजेदार क्षणिकायें।

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  8. मस्त मुकरियाँ.....

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  9. उससे डर, हर कोई भागे,
    वो मेरे पीछे, मैं आगे
    कहे देकर फिर करो रिलैक्स..
    का सखी साजन? ना सखी टैक्स

    अत्यंत रोचक ! अत्यंत प्यारा...बहुत ही सरस भाई

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  10. अरे वाह! बहुत अच्छा लिखा है.

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  11. हां नीरज जी, मैंनें स्‍वयं भी लिखा है। मेरी कुछ कहानियां मेरे पति जमशेद आज़मी जी के संपादन के उपरांत प्रकाशित भी हुई हैं। घरेलू व्‍यस्‍तताओं के चलते अब उतना लेखन नहीं हो पाता है। पर अब अलग अलग विष्‍ायों पर ब्‍लाग लेखन के कार्य पर ध्‍यान दे रही हूं।

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