Thursday, 1 May 2014

क्यों गाती हो कोयल


क्यों गाती हो कोयल 
होकर इतना विह्वल 

है पिया मिलन की आस
या बीत चुका मधुमास 
वियोग की है वेदना 
या पारगमन है पास 
मत जाओ न रह जाओ
यह छोड़ अम्बर  भूतल  

क्यों गाती हो कोयल 
होकर इतना विह्वल 

तू गाती तो आता 
यह वसंत मदमाता 
तू आती तो आता 
मलयानिल महकाता 
तू जाती तो  देता 
कर जेठ मुझे बेकल 

क्यों गाती हो कोयल 
होकर इतना विह्वल 


कलियों का यह देश
रह बदल कोई वेष
सुबह सबेरे आना
लेकर प्रेम सन्देश
गाना मेरी खिड़की
पर कोई गीत नवल

क्यों गाती हो कोयल 
होकर इतना विह्वल ..

नीरज कुमार नीर ........ #neeraj_kumar_neer 
इस गीत को मेरे एक मित्र ने अपनी खूबसूरत आवाज से संवारा हैं ... आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर इसे अवश्य सुने ..  https://soundcloud.com/parul-gupta-2/kyu-gati-ho

#कोयल #कोयल #गीत #prem_geet 

29 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (02.05.2014) को "क्यों गाती हो कोयल " (चर्चा अंक-1600)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. कोयल तो उसी मौसम की बातें करती ही ... और इस में जीती भी है ...
    सुन्दर रचना ...

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  3. कोकिला अपनी सरस तान में वसंत की पुकार भर कर वातावरण गुँजा देती है -मोहक चित्र1

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  4. आहा..बहुत सही सवाल किया है कोयल से आपने.

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  5. बहुत सही प्रश्न। कोयल को है पिया मिलन की आस।

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  6. कोयल की पुकार को अलग अलग कोण से देखने का आपका नज़रिया बहुत अच्छा लगा.. कभी मैंने भी कोयल की इस कूक को हूक कहा था और लिखा था:
    एक माँ
    गर्मी की तपती धूप में
    जलते हुए सूरज से बचती
    कोख में अपने, लिए बच्चे को
    दुःख से चीखती, चिल्लाती और फरियाद करती.
    पर नहीं उसकी कोई फरियाद सुनता.
    उलट इसके, लोग कहते
    कितना मीठा गा रही है
    और सब मिलकर उसे हैं मुँह चिढ़ाते.
    सिर छिपाने को
    न कोई घर है उसके पास,
    ना मह्फूज़ सी कोई जगह
    जाकर जहाँ बच्चा जने वो.
    एक घर में घुस के चोरी से
    जनम देकर वो बच्चे को वहाँ से भाग आई
    थे जहाँ पहले से कुछ बच्चे
    उन्हीं के बीच रख अपने भी बच्चे को
    निकल आई वहाँ से, लोगों से नज़रें चुरा कर.
    जब कभी तपती हुई सी दोपहर में
    कूक कोयल की सुनाई दे कहीं से तो
    उसे सब गीत कहते हैं
    मगर शायद
    वो माँ की टीस भी हो सकती है दिल की
    ये सोचा है किसी ने ?

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    1. आपकी कविता बहुत सुन्दर है ..

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  7. मर्मस्पर्शी काव्य रचना

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  8. सुंदर गाया है पारुल गुप्ता जी ने..

    अच्छा लिखा आपने

    (दो-एक जगह गाते हुए कुछ बदलाव हैं)

    :)

    हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं !

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  9. सुंदर गीत एवं पारुल जी के मधुर स्वर में सुन्दरतम प्रस्तुतीकरण ! आप दोनों ही बधाई के पात्र हैं !

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  10. बहुत बढ़िया ...सुना तो पहले ही था .....शुक्रिया पारूल सुनवाने का

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  11. आपकी लिखी रचना मंगलवार 06 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  12. ...बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुकून भरी पंक्तियाँ..!!

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  13. बहुत ही सुन्दर गीत..मधुर आवाज के साथ...

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  14. बहुत सुंदर और मधुर गीत ... अभी बरसात में काफी समय है मगर बारिश की याद खूब आयी इसे पढ़ते हुए।
    अफ़सोस मैं पारुल की आवाज़ में गीत नहीं सुन पाई। soundcloud पिछले कई दिनों से नहीं खुल पा रहा बहुत कोशिश करके भी :(

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  15. कभी-कभी शब्द अपर्याप्त होते हैँ मन के भावोँ को व्यक्त करने हेतु, आज मेरी मनोदशा भी कुछ ऐसी ही है॥ सुंदर, सहज, और पठनीय। आनंद आ गया...बहुत बहुत आभार, हिँदी जगत को अनमोल कृतियाँ देने के लिए।

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  16. जब मेरे मन में उठते हूक
    दी सुनायी कोयल की कूक

    बहुत सुन्दर

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  17. अति सुंदर भाव कोयल सच में............

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  18. बहुत सुन्दर , मन भावन गीत .. बधाई आप को

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  19. Sundar saral bhasha mein
    Manoram vyakhya..geet mein bhi wahi mithaas hai

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  20. कलियों का यह देश
    रह बदल कोई वेष
    सुबह सबेरे आना
    लेकर प्रेम सन्देश
    गाना मेरी खिड़की
    पर कोई गीत नवल

    क्यों गाती हो कोयल
    होकर इतना विह्वल ..
    क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत

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  21. सुंदर, भाव और शब्दों का अच्छा समिश्रण

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  22. सुंदर, भाव और शब्दों का अच्छा समिश्रण

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  23. सुन्दर शब्द रचना............
    http://savanxxx.blogspot.in

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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