मातृ दिवस के अवसर पर विश्व की समस्त माओं को समर्पित
......................................................
मेरी अगर माँ ना होती
......................................................
मेरी अगर माँ ना होती
मैं कहाँ से होता,
किसकी अंगुली पकड़ के चलता
किसका नाम लेकर रोता.
चलना फिरना हँसना गाना
तेरी भांति माँ मुस्काना
प्रेम के एक एक आखर
पग पग संस्कार सिखलाना
गोदी में सिर रखकर आखिर
निर्भीक कहाँ मैं सोता .
दुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
जीवन यात्रा के सत्य असत्य
रंगमंच के सारे पक्ष
कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य
राजा रानी के किस्सों संग
मन माला में कौन पिरोता..
ये जो वायु, आती जाती है
बल, रूप, यौवन सजाती है
दुनियां भर के सारे सुख
नित्य नवीन दिखलाती है
ये तो ऋण तुम्हारा है माँ
बस रहता हूँ मैं ढोता.
मेरी अगर माँ ना होती
मैं कहाँ से होता.
... नीरज कुमार नीर
चित्र गूगल से साभार #neeraj_kumar_neer
#mothersday #matri-diwas #maa #माँ #मातृदिवस #जीवन #प्रेम
#mothersday #matri-diwas #maa #माँ #मातृदिवस #जीवन #प्रेम
माँ की सम्पूर्णता को व्यक्त करते हुए बेहद सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteदुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
ReplyDeleteजीवन यात्रा के सत्य असत्य
रंगमंच के सारे पक्ष
कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य
राजा रानी के किस्सों संग
मन माला में कौन पिरोता..
bahut sundar bhavnatmak prastuti .badhai
खुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबालक के जीवन में माँ के महत्व एवं अनिवार्यता को बखानती बहुत ही सुकोमल रचना ! मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुंदर भाव !
ReplyDeleteमातृ दिवस पर बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteRECENT POST आम बस तुम आम हो
सच में माँ से ही तो हम हैं। मातृ दिवस पर सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरूप एक ऐसा ईश्वर का, जिसे शब्दों में वर्णित करना कितना मुश्किल है. ह्रदय के सुन्दर उदगार.
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeletebahut hi sunder kavita .plll read this too....http://itsarchana.com/poems/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81/
ReplyDeleteमेरी अगर माँ ना होती
ReplyDeleteमैं कहाँ से होता,
किसकी अंगुली पकड़ के चलता
किसका नाम लेकर रोता.
प्रिय नीरज जी बहुत प्यारी रचना .माँ का प्रेम तो अनमोल है .हर माँ को नमन ...बधाई
भ्रमर ५
आज के दिवस को सार्थक करती पोस्ट ... माँ तो माँ है ...
ReplyDeleteमाँ के बिना तो दुनिया का सृजन नहीं हो सकता था. सुंदर रचना.;
ReplyDeleteदुनियांदारी के कथ्य अकथ्य
ReplyDeleteजीवन यात्रा के सत्य असत्य
रंगमंच के सारे पक्ष
कुछ प्रत्यक्ष, कुछ नेपथ्य
राजा रानी के किस्सों संग
मन माला में कौन पिरोता..
मातृ दिवस पर शानदार प्रस्तुति
माॅ तो माॅं हे .............
ReplyDeleteयह सोचना भी संभव नहीं कि गर माँ न होती...भावपूर्ण प्रस्तुति।
ReplyDelete