Wednesday, 21 May 2014

अपवर्तन का नियम

कहो प्रिय , कैसे सराहूँ 
मैं सौंदर्य तुम्हारा.
मैं चाहता हूँ.
तुम्हारे मुख को कहूँ माहताब 
अधरों को कहूँ लाल गुलाब 
महकती केश राशि को संज्ञा दूँ 
मेघ माल की 
लहराते आँचल को कहूँ 
मधु मालती 
पर, अपवर्तन का अपना नियम है 
मेरी दृष्टि गुजरती है,
तुम तक पहुचने से पहले 
संवेदना के तल से,
और हो जाती है अपवर्तित
सड़क किनारे डस्टबिन में 
खाना ढूंढते व्यक्ति पर, 
प्लेटफार्म पर भीख मांगते 
चिक्कट बालों वाली 
छोटी लड़की पर..
देश के भविष्य से खेलते 
झूठे वादे और बकवाद करते नेताओं पर.
मेरी संवेदना तुम्हें शायद 
अर्थ हीन लगे, पर 
यही है मेरा सत्य,  
मेरा तल.  
कहो प्रिय, कैसे सराहूँ 
मैं सौंदर्य तुम्हारा..

नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
#hindi_poem #gulab  #प्लैटफ़ार्म #हिन्दी_कविता #अपवर्तन 

16 comments:

  1. The hard facts of life...well expressed :)

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
  3. नयी पुरानी हलचल का प्रयास है कि इस सुंदर रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    जिससे रचना का संदेश सभी तक पहुंचे... इसी लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 22/05/2014 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...

    [चर्चाकार का नैतिक करतव्य है कि किसी की रचना लिंक करने से पूर्व वह उस रचना के रचनाकार को इस की सूचना अवश्य दे...]
    सादर...
    चर्चाकार कुलदीप ठाकुर
    क्या आप एक मंच के सदस्य नहीं है? आज ही सबसक्राइब करें, हिंदी साहित्य का एकमंच..
    इस के लिये ईमेल करें...
    ekmanch+subscribe@googlegroups.com पर...जुड़ जाईये... एक मंच से...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार कुलदीप ठाकुर जी .

      Delete
  4. बहुत सुन्दर लिखा है आपने .. मौजू और सार्थक ..... बधाई

    ReplyDelete
  5. कवि ह्रदय की दुविधा एवं यथार्थ की विसंगतियों को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ आपने अभिव्यक्त किया है ! बहुत ही सुंदर रचना !

    ReplyDelete
  6. बहुत ही खूबसूरत रचना !! कवि के संवेदनशील ह्रदय में प्यार के गीत के लिए सामाजिक स्थिति दुविधा बन रही है...

    ReplyDelete
  7. मन के द्वन्द को सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने.

    ReplyDelete
  8. कवी की कल्पना जहां जा कर लहुलुहान हो जाती है वहां से ये सब उपमाएं व्यर्थ लगने लगती हैं ...

    ReplyDelete
  9. अंतर्द्व्न्द प्रकट करती संवेदनशील प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. समय पर बढ़िया अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  12. सामयिक विषय को बड़ी गंभीरता से लिखा आपने
    बहुत बढ़िया
    साभार !

    ReplyDelete
  13. और भी गम हैं जमाने में। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  14. सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...