लाल पीली बत्तियों में सत्य दिखाई नहीं देता.
बैठ कर दिल्ली से साहब भारत दिखाई नहीं देता.
सीढियां चढ़ गये ऊपर बहोत अब नीचे देखने से,
आदमी अच्छा ख़ासा, आदमी दिखाई नहीं देता.
कोई मर जाए पड़ोस में पड़ोसी को खबर ही नहीं,
राब्ता पड़ोसी का पडोसी से दिखाई नहीं देता.
भूख, पेट की आती है देश और धर्म से पहले,
आदमी भूखा हो तो भविष्य दिखाई नहीं देता.
लाभ अपना, सुख अपना, अपनी अपनी खोल में बंद,
जिन्दा आदमी भी अब जिन्दा दिखाई नहीं देता..
... Neeraj Kumar Neer #neeraj_kumar_neer
चित्र गूगल से साभार
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआभार आपका आदरणीय।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
भारत का राजनैतिक सत्य सरल हो
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार आपका।
ReplyDeletebahut sundar !
ReplyDeleteवसन्त का आगमन !
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteसत्य हो तो दिखाई दे
ReplyDeleteसत्य होता ही नहीं है जो दिखाई देता
अदभुत
बहुत अच्छा लिखते हो !
बहुत ही सुन्दर ......
ReplyDeleteशुक्रिया हर्षवर्धन जी ..
ReplyDeleteयह ग़ज़ल नहीं...आईना है है सत्य दर्शन के लिए. बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत खूब ...!!!
ReplyDeleteबेहद सुंदर, सामयिक और सटीक गज़ल।
ReplyDeleteकटु सत्य को उजागर करती एक बेहतरीन गजल..
ReplyDeleteसत्य,,, सच,,, और सच्चाई,,, है आपकी इस रचना में। सादर धन्यवाद।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : पंजाब केसरी लाला लाजपत राय
तिरूपति बालाजी पर द्वीपीय देश पलाऊ ने जारी किये सिक्के और नेताजी को याद किया सिर्फ एक सांसद ने।
भूख, पेट की आती है देश और धर्म से पहले,
ReplyDeleteआदमी भूखा हो तो भविष्य दिखाई नहीं देता. ...
बहुत खूब ... हर शेर उम्दा ... हकीकत की बेबाक बयानी ... लाजवाब ...