Saturday, 21 June 2014

अलविदा


संध्या निश्चित है ,
सूर्य अस्ताचल की ओर
है अग्रसर ..

मुझे संदेह नहीं
अपनी भिज्ञता पर
तुम्हारी विस्मरणशीलता के प्रति
फिर भी अपनी बात सुनाता हूँ.
आओ बैठो मेरे पास
जीवन गीत सुनाता हूँ.
डूबेगा वह  सूरज भी
जो प्रबलता से अभी
है प्रखर .

तुम भूला दोगे मुझे, कल
जैसे मैं था ही नहीं कोई.
सुख के उन्माद में मानो
आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.
सत्य का स्वाद तीखा है,
असत्य क्षणिक है,
मैं सत्य सुनाता हूँ
भ्रम का अस्तित्व भी
सत्य की ओट लेकर
है निर्भर ..

खोकर बूंद भर पानी
सरिता कब रूकती है
जल राशि में गौण है बूंद
सरिता आगे बढ़ती है.
कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
सत्य पर सब मौन है
मैं वही बताता हूँ
काल का चक्र कब रुका
चलता रहता
है निरंतर ..

संध्या निश्चित है ,
सूर्य अस्ताचल की ओर
है अग्रसर..
.. #नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
#hindi_poem


16 comments:

  1. जीवन-दर्शन की सहज अभिव्यक्ति

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  2. संध्या निश्चित है ,
    सूर्य अस्ताचल की ओर
    है अग्रसर..
    अस्त होना और फिर उदय होने यही सूर्य की नियति है कभी उससे पीछे नहीं हटता वह
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुन्दर रचना

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! जीवन की यही गति है ! उदय के साथ अस्त अपरिहार्य और अवश्यम्भावी है ! सार्थक सृजन !

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  5. जीवन गतिमान है.. काल चक्र चलता रहता है ...उदय के साथ अंत भी है हर चीजों का .. सुन्दर स्तुति !!

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  6. सत्य पर सब मौन है
    मैं वही बताता हूँ
    काल का चक्र कब रुका
    चलता रहता
    है निरंतर ..

    बहुत सुंदर रचना !!

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  7. जीवन की निरंतरता आने और जाने में ही तो है ...
    सूर्यास्त भी खूबसूरत है :)

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. भाव गूढ़ और सत्य समाहित किये हैं. सुन्दर कृति.

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  10. निश्चित रूप से बूंद सरिता में गौण ही नहीं बहुत ही गौण है।

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  11. सच है की संध्या निश्चित है पर उसके बाद भोर भी तो आनी है ... गौण होते हए भी बूँद का महत्त्व कम तो नहीं होता ...

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  12. सुख के उन्माद में मानो
    आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.
    सत्य का स्वाद तीखा है,
    असत्य क्षणिक है,
    मैं सत्य सुनाता हूँ
    भ्रम का अस्तित्व भी
    सत्य की ओट लेकर
    है निर्भर .. बेहतरीन काव्य-सृजन !

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  13. खोकर बूंद भर पानी
    सरिता कब रूकती है
    जल राशि में गौण है बूंद
    सरिता आगे बढ़ती है.
    कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
    सत्य पर सब मौन है
    मैं वही बताता हूँ
    काल का चक्र कब रुका
    चलता रहता
    है निरंतर ..
    बहुत सुन्दर काव्य रचना

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  14. सूर्यास्त के बाद एक नई सुबह जीवन मे बहुत कुछ नया लाती है

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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