रूकती
नहीं है
माँ
है मेरी वो
थकती
नहीं है
निष्काम निरंतर
लेती
है मेरी हर
कष्ट हर
किसी
से कुछ भी
कहती
नहीं है
चाँद
डूबने से पहले
चाँद
चढ़ जाने तक
खग के उठने से पहले
सबके
सो जाने तक
रहती
दौड़ती
ठहरती
नहीं है
खाना पीना राशन वासन
कपड़े
लत्ते दीये दवाई
शिक्षा
दीक्षा नाते रिश्ते
पूजा
पंडित सर सफाई
निभाती
है सभी
ऊबती
नहीं है
चलती अहर्निश
रूकती नहीं है
माँ है मेरी वो
थकती नहीं है...
.........
नीरज कुमार नीर .........
neeraj kumar neer
चाँद का डूबना यानि सुबह होना ....
चाँद का चढ़ना यानि देर रात हो जाना।
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ReplyDeleteआभार ..
ReplyDeleteआभार आपका .......
ReplyDeleteमाँ है वो ... वो थक गयी तो श्रृष्टि रुक जाती है ... माँ को समर्पित भाव पूर्ण रचना ...
ReplyDeleteएक सच … जो हम सभी के मन में तो है … भावों में भी उजागर होना चाहिए …
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता. माँ को नमन!
ReplyDeleteसर बहुत सटीक भाव। मां पर जितना कहा जाए कम है, पर चंद Y=भावों में काफी कुछ कह दिया आपने।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दों से सजी भावपूर्ण कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता...
ReplyDeletemaa thakti nahi kyunki uski mamta use thakne nhi deti,.....umdaa
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक एवं भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteमां है मेरी वो मशीन नहीं। भावपूर्ण ।
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