Saturday, 29 November 2014

लीक पकड़ मैं चला नहीं


लीक पकड़
 मैं चला नहीं 
मुझे पथ बनाना आता है 
अँधियारों से 
डरा नहीं  
 मुझे दीप जलाना आता है ॥ 

हुआ जब दिग्भ्रांत 
लगा ध्यान देखा 
ध्रुव ही की ओर 
रवि का क्या 
वह तो  
सुख भर साथ निभाता है ॥ 

अग्नि वीणा के तारों को 
छूकर के 
झंकार दिया 
नफरत पथ के पथिक को 
निश्छल होकर 
प्यार दिया 
पत्थर पर
थाप लगाकर 
मृदंग बजाना आता है ।
लीक पकड़ मैं 
चला नहीं 
मुझे  पथ बनाना आता है 

सौंदर्य नहीं कुसुमाकर का 
शूल हूँ 
सुमन का रखवाला 
अपनी वज्र हथेलियों पर  
नव कुसुम 
खिलाना आता है । 

भाव में हरिवास  
कण कण घट घट
तत्व एहसास 
पाषाणों मे भरकर प्राण
 उन्हें 
भगवान बनाना आता है ।  
लीक पकड़ मैं 
चला नहीं 
मुझे 
पथ बनाना आता है । 
....... 
#नीरज कुमार नीर 
#Neeraj kumar neer  
#motivational_poem #motivation #प्रेरक_कविता 

5 comments:

  1. वाह क्या खूब लिखा है आपने!

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  2. आशा, विश्वास और खुद की डगर बनाने का एहसास ... हिलोरें ले रहा हो जैसे जीवन ...
    प्रभावी रचना ...

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  3. आत्मविश्वास से सराबोर रचना

    ReplyDelete

  4. ​गज़ब का शब्द संकलन है आपका

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  5. सुन्दर प्रस्तुति

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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