Tuesday, 25 August 2015

सोचता हूँ मैं कविता का केजरीवाल बन जाऊँ

प्रस्तुत है एक व्यंग्य "सोचता हूँ मैं कविता का केजरीवाल बन जाऊँ " 

#NEERAJ_KUMAR_NEER 
#kejriwal #hindi_poem 

8 comments:

  1. bus yhi baki rah gay hai zindagi main
    kavi tum sab se aage nikal jao

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  2. हा हा आपने कजरी जी की सही पोल खोली इस रचना के माध्यम से ...

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  3. बहुत ही खूब व्यंग्यपूर्ण काव्य रचना है। सादर ... अभिनन्दन।।

    मेरा हिन्दी चिट्ठा - ज्ञान कॉसमॉस

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (27-08-2015) को "धूल से गंदे नहीं होते फूल" (चर्चा अंक-2080) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. राजनीति का रंग चढ़ ही जाता है ....कहते हैं न ...
    "काजल की कोठरी में कैसूं ही सयानो जाय, एक लीक काजल की लागिहैं पै लागि जाय"

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  6. बहुत ही सटीक रचना ।

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  7. उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  8. अच्‍छा सोच रहे हैं आप। शानदार प्रस्‍तुति।

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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