मैं जो दर्द अनुभव करता हूँ , जो दुःख भोगता हूँ, जिस आनंद का रसपान करता हूँ , जिस सुख को महसूस करता हूँ, मेरी कवितायें उसी की अभिव्यंजना मात्र है ।
इन्ही कोणों में ही भटक जाती है जिंदगी ... सीधा करना भी जरूरी है इन्हें ...
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.
इन्ही कोणों में ही भटक जाती है जिंदगी ... सीधा करना भी जरूरी है इन्हें ...
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